देहरादून: कोरोना महामारी के कारण वैसे तो वर्ष 2020 का पूरा साल हर तरह की अदालती कार्रवाई के लिए बाधित रहा. लेकिन सबसे ज्यादा वो केस प्रभावित हुए जो कोर्ट कार्यवाही में निर्णय की कगार पर आ चुके थे.
अंतिम पड़ाव पर मुकदमे लेकिन कोरोना की मार !
देहरादून के पॉक्सो कोर्ट में एक दर्जन से अधिक ऐसे दुष्कर्म (नाबालिग) वाले मामले हैं जो कानूनी प्रक्रिया के तहत अंतिम पड़ाव में आने के बावजूद कोरोना संक्रमण के कारण अटके हुए हैं. ऐसे में इसका सीधा लाभ आरोपी पक्ष को मिल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ इसका नुकसान पीड़ित पक्ष को उठाना पड़ रहा है.
जानलेवा संक्रमण के कारण उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार एहतियातन पुराने मामलों पर अदालतों में सुनवाई नहीं हो पा रही है. ना ही इस बात की संभावना नजर आ रही है कि कब तक कोर्ट की कार्यवाही सामान्यत रूप में सुचारू हो पाएगी.
पीड़ित पक्ष परेशान, आरोपितों को कोरोना ने दिलाई राहत
देहरादून पॉक्सो कोर्ट के शासकीय अधिवक्ता भरत सिंह नेगी के मुताबिक दर्जनभर से अधिक ऐसे मामले हैं जो कोर्ट की कार्यवाही में लगभग निस्तारण के पड़ाव पर हैं. लेकिन कोरोना के कारण अदालत की कार्यवाही काफी समय से बाधित हो रही है. ऐसे में कोरोना का हवाला देकर बचाव पक्ष भी एक के बाद एक आगे की तारीख लेकर समय निकाल राहत लेते जा रहे हैं.
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अधिवक्ता भरत सिंह नेगी के मुताबिक कई ऐसे मामले हैं जिनमें सभी साक्ष्य-सबूतों के आधार पर दो से तीन सुनवाई के उपरांत दुष्कर्म के आरोपी को दोषी ठहराया जा सकता है. लेकिन कोर्ट की कार्यवाही बाधित होने के चलते यह न्याय प्रक्रिया में लंबित होते जा रहे हैं.
पॉक्सो के मुकदमे
समय- वर्ष 2019 जनवरी से अक्टूबर 2020 तक