देहरादून: उत्तराखंड सरकार, प्रदेश में निवेश को बढ़ावा दिए जाने को लेकर एक बार फिर से ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट करने जा रही है. राज्य में इसी साल नवंबर और दिसंबर में प्रस्तावित इन्वेस्टर समिट का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है. ऐसे में प्रधानमंत्री का समय मिलने के बाद इन्वेस्टर समिट के लिए वास्तविक तिथियों की घोषणा की जाएगी. बहरहाल, शासन स्तर पर समिट की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं.
इसी क्रम में गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समिट से संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक के दौरान सीएम ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन की तैयारियों तय समय पर पूरी कर लें. साथ ही सीएम ने कहा उत्तराखंड में कार्य करने की तमाम संभावनाएं हैं, लिहाजा, प्रदेश में निवेश को बढ़ाने का बेहतर अवसर हैं. ऐसे में इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. साथ ही सीएम धामी ने कहा प्रदेश में उद्योगों की स्थापना के लिए बेहतर वातावरण और स्किल्ड मानव संसाधन भी मौजूद है.
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प्रदेश में निवेश के लिए ज्यादा से ज्यादा निवेशक अपनी रुचि दिखाई इसके लिए नई औद्योगिक नीति भी बनाई गई है. इसके अलावा प्रदेश में हवाई सेवा, रेल और सड़क कनेक्टिविटी का भी तेजी से विस्तार हो रहा है. ये सभी निवेशकों को देवभूमि उत्तराखण्ड में निवेश के लिए आकर्षित कर रही है.
2018 में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में पीएम मोदी ने की थी शिरकत. बता दें ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो रोड शो और राष्ट्रीय स्तर पर 6 रोड शो का होने प्रस्तावित हैं. इसके साथ ही मसूरी और रामनगर में मिनी कॉन्क्लेव का भी आयोजन किया जाएगा. यही नहीं, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए राज्य में तमाम क्षेत्रों में निवेश के लिए रोड शो समेत अन्य तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जिसकी अभी से तैयारियां की जा रही है.
साल 2018 में हुआ है समिट:इससे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार में साल 2018 में इन्वेस्टर्स समिट हुआ था. समिट में कई देशों के राजदूत भी शामिल हुए थे. अपने देश के साथ कई अन्य देशों के बड़े बिजनेसमैन समिट में आए थे. तब इन्वेस्टर्स समिट में हेल्थ केयर, बायोटेक्नोलॉजी, आईटी, ऊर्जा, पर्यटन जैसे सेक्टर्स को शामिल किया गया था. करीब ₹80 हजार करोड़ तक के निवेश पर MoU साइन होने की उम्मीद जताई गई थी कि लेकिन समिट के दौरान करीब ₹1.25 लाख करोड़ के 673 निवेश प्रस्ताव पर सहमति बनी थी. हालांकि, धरातल पर ज्यादा कुछ होता दिखाई नहीं दिया.
पीएम मोदी संग सभी गणमान्य लोग. सरकार ने बहाए थे करोड़ों रुपए:पिछले चार सालों की बात करें तो केवल ₹35 हजार करोड़ के निवेश ही धरातल पर उतर पाए हैं. ये तब है जबकि समिट में निवेशकों को बुलाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए थे. विदेशी इन्वेस्टर्स को साधने के लिए विदेशों का दौरा भी किया था. कई बड़े शहरों में रोड शो भी किया गया था. हालांकि, सरकार की ओर से इसका ये तर्क दिया गया कि कोरोना महामारी के चलते कई सारी योजनाएं परवान नहीं चढ़ पाई और मात्र ₹35 हजार करोड़ का ही निवेश हो पाया.
वहीं, इस सवाल पर कि, 2018 में हुए इन्वेस्टर्स समिट के दौरान जिन कंपनियों ने इन्वेस्टमेंट के लिए एमओयू साइन किया था, वो क्यों नहीं धरातल पर उतर पाई, तत्कालीन उद्योग मंत्री चंदन रामदास ने बताया था कि कई कंपनियों को सरकार जमीन उपलब्ध नहीं करा पाई है. इसी को देखते हुए सरकार सिंगल विंडो सिस्टम लेकर आई है ताकि उद्यमियों को गैरजरूरी चक्कर न काटना पड़े.
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2018 समिट से सबक लेगी सरकार:इस बार होने जा रहे समिट में सरकार पिछले समिट की कमियों से सबक लेकर बड़े बदलाव कर सकती है. इस बार कम खर्च में ज्यादा निवेश की संभावनाओं को तलाशा जाएगा. साथ ही सरकार अब उन्हीं इन्वेस्टर्स के साथ एमओयू साइन करेगी, जो राज्य में निवेश के लिए समर्पित होंगे.
₹35 हजार करोड़ के इन्वेस्टमेंट पर एक नजर:साल 2018 में इंवेस्टर्स समिट के बाद दिसंबर 2022 तक प्रदेश में करीब साढ़े 35 हजार करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया गया है. एक नजर अबतक के निवेश पर-
- 2019 से 2022 दिसंबर तक 6,638 इंडस्ट्रीज को परमिशन दी गयी. इनमें 176 बड़े उद्योग शामिल हैं. इन इंडस्ट्री के जरिए ₹354,96.83 करोड़ रुपए निवेश किया जाना है, जिसमें ₹18,791.34 करोड़ एमएसएमई और ₹16,705.49 करोड़ के बड़े उद्योग शामिल हैं. करीब 1,26,936 लोगों को रोजगार मिलने का दावा.
- वित्तीय वर्ष 2019-20 में 1,562 MSME (Micro, Small and Medium Enterprises) को अनुमति दी गई. इनमें ₹4,350.05 करोड़ के निवेश के साथ ही 3,57,35 लोगों को रोजगार मिलेगा. इसमें 56 बड़ी इंडस्ट्रीज को अनुमति दी गई, जिसमें ₹7,656.65 करोड़ के निवेश के साथ ही 8,448 लोगों को नौकरी मिलेगी.
- वित्तीय वर्ष 2020-21 में 1,495 MSME को अनुमति दी गई. इसमें ₹2,776 करोड़ के निवेश के साथ ही 26 हजार 412 लोगों को रोजगार मिलने की बात कही गई. इसमें 41 बड़ी इंडस्ट्रीज को अनुमति दी गई, जिसमें ₹1,888.46 करोड़ के निवेश के साथ 4 हजार 417 लोगों की नौकरी का दावा.
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1,791 MSME को इजाजत दी गई. इसमें बताया गया कि ₹4,740.56 करोड़ का निवेश होगा और 32 हजार 901 लोगों को रोजगार मिलेगा. इसी कड़ी में 63 बड़े उद्योगों को अनुमति दी गई, जिसमें 4,088.38 करोड़ का निवेश के साथ ही 13,911 लोगों को नौकरी मिलेगी.
- वित्तीय वर्ष 2022-23 में दिसंबर 2022 तक 1614 MSME को अनुमति दी गई. यहां ₹6,924.73 करोड़ के निवेश की बात हुई. साथ ही 31,354 लोगों को रोजगार मिलने का दावा किया गया. 16 बड़े उद्योगों को भी अनुमति दी गई. इसके जरिए ₹3,072.50 करोड़ के निवेश की बात हुई और 3 हजार 369 लोगों की नौकरी की बात कही गई है.
तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ पीएम मोदी.
2018 में ₹1.25 लाख करोड़ के प्रस्ताव पर सहमतिःसाल 2018 में कुल 673 निवेश प्रस्तावों पर एमओयू हुआ था. सबसे अधिक ऊर्जा के क्षेत्र में 40,707.24 करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर एमओयू हुआ था. दूसरे नंबर पर विनिर्माण उद्योग के क्षेत्र में 17,191 करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर एमओयू हुआ. हेल्थ केयर के क्षेत्र में 16,890 करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर एमओयू पर सहमति बनी. पर्यटन के क्षेत्र में 15,362.72 करोड़ रुपए, अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में 14,286.69 करोड़ रुपए, आईटी के क्षेत्र में 4,628 करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर एमओयू साइन हुए. वहीं, आयुष वेलनेस के क्षेत्र में 1,751.55 करोड़ रुपए, कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में 96.5 करोड़ रुपए और बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में 125 करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर MoU साइन हुए.
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