उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

पितृपक्ष में जानें श्राद्ध का महत्व, इन तिथियों पर करें तर्पण - Haridwar Latest News

इस बार पितृपक्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर अश्विनी मास की अमावस्या तिथि यानि 6 अक्टूबर तक रहेगा. मान्यता के अनुसार अगर पूरी श्रद्धा भाव के साथ पितरों की पूजा-अर्चना और तर्पण (श्राद्ध) किया जाए, तो वो प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

Haridwar Latest News
Haridwar Latest News

By

Published : Sep 20, 2021, 4:02 AM IST

Updated : Sep 20, 2021, 11:26 AM IST

हरिद्वार: श्राद्ध यानि पितरों को श्रद्धा से किया गया दान श्राद्ध कहलाता है. 2021 में पितृ पक्ष 20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक मनाए जाएंगे. पितृपक्ष में मानव मृत आत्माओं को जल, तिल, जौ, चावल और सफेद पुष्प से पितरों को जलांजलि दी जाती है. श्राद्ध तिथि के दिन ब्राह्मण को भोजन कराने के साथ ही गाय और कौआ को भी अंश निकाला जाता है, जिससे पितृ शांत होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

पितृ पक्ष 16 दिन का होता है जो कि कल यानी 20 सितंबर से शुरू हो रहा है. वैसे श्राद्ध को मुक्ति का मार्ग भी माना जाता है. पितृ पक्ष के दौरान किये जाने वाले श्राद्ध का विशेष असर पड़ता है. पितृ पक्ष का श्राद्ध सभी पूर्वजों के लिए किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में सभी पितृ यमलोक से पृथ्वी लोक पर आ जाते हैं. इसीलिए पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का विशेष महत्व माना जाता है.

आज से पितृपक्ष शुरू.

इसके लिए हरिद्वार में नारायणी शिला मंदिर वो तीर्थ स्थान माना जाता है, जो पितृ तीर्थ और मुक्ति का बड़ा केंद्र हैं. हरिद्वार में तीर्थ करने और गंगा स्नान कर पुण्य कमाने के अलावा दुनिया भर से लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए भी यहां आते हैं.

पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि पितृ पक्ष में पितरों का उनके देहांत की तिथि के दिन श्राद्ध करना जरूरी माना गया है. मान्यता है कि पितरों का अगर श्रद्धापूर्वक श्राद्ध नहीं किया जाता है, तो पित्र नाराज हो जाते हैं. उनके श्राप से व्यक्ति पितृ दोष से ग्रसित हो जाता है, जिस घर में पितृ दोष होता है. उस घर की सुख-शांति खत्म हो जाती है. तरह-तरह की समस्याएं आने लगती है, यानि व्यक्ति का जीवन कष्टों में घिरने लगता है.

पढ़ें- पितृपक्ष 2021: कैसे करें पितरों का तर्पण, श्राद्ध तिथियां व जानें पूजा विधि और नियम

पंडित त्रिपाठी ने बताया कि पितृ दोष के निवारण के लिए देश में नारायणी शिला मंदिर को दूसरे नंबर पर सबसे खास स्थान माना जाता है. इसलिए पितृ दोष की शांति के लिए पितृ पक्ष सबसे उपयुक्त दिन होते हैं. इन दिनों में पित्रों को प्रसन्न कर पितृ दोष से भी मुक्ति पाई जा सकती है.

हरि का द्वार यानी हरिद्वार, धर्मनगरी हरिद्वार में अगर लोग गंगा में डुबकी लगाकर जन्म-जन्मान्तरों के पाप धोने आते हैं, तो हरिद्वार लोग अपने पित्रों की आत्मा की शांति और उन्हें मोक्ष दिलाने की कामना लेकर भी आते हैं. हरिद्वार में मां गंगा सबके पाप धो देती हैं. मान्यता है कि श्राद्ध करने से उनके पित्र प्रसन्न होते हैं और उनके ऊपर सुख-शांति और अपने आशीर्वाद की वर्षा करते है.

Last Updated : Sep 20, 2021, 11:26 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details