देहरादून:उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सरमोली गांव को देश के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के रूप में पुरस्कृत किया गया. नई दिल्ली के भारत मंडपम सभागार में आयोजित समारोह में सरमोली वन पंचायत की सरपंच मल्लिका विर्दी को केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने स्वर्ण पदक और एक प्रशस्ति पत्र से युक्त पुरस्कार दिया.
विर्दी ने 2016 में हिमालयन आर्क नामक एक एनजीओ के माध्यम से मुनस्यारी उप-मंडल में स्थित सरमोली में ग्राम पर्यटन को बढ़ावा देने की प्रक्रिया शुरू की. वह एनजीओ की निदेशक भी हैं. विर्दी ने कहा, 'यह पुरस्कार सरमोली गांव के सभी निवासियों का सम्मान है, खासकर उन लोगों का जो समुदाय-आधारित पर्यटन में विश्वास करते हैं.'
उन्होंने पुरस्कार प्राप्त करने के तुरंत बाद कहा, 'मुझे लगता है कि गांव को पुरस्कार मिला क्योंकि पर्यटन का हमारा मॉडल क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक परिदृश्य और ग्रामीण जीवनशैली पर आधारित था' विरदी ने कहा, पुरस्कार के लिए सरमोली गांव का चयन महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे कुल 750 आवेदनों में से चुना गया था. उन्होंने कहा, "इस सफलता का श्रेय पूरे गांव को जाता है.'
अवार्ड के साथ सरमोली ग्राम की सरपंच मलिका विरदी.
मल्लिका विर्दी ने जानकारी देते हुए बताया गांव में लगभग 50 परिवार सीधे तौर पर होम स्टे पर्यटन से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा टैक्सी ड्राइवरों, पर्यटक गाइडों और स्थानीय कलाकृतियों और कृषि उपज बेचने वाले दुकानदारों के 30 से अधिक परिवार हैं. उन्होंने कहा गांव में होम स्टे सुविधाओं से 2016 के बाद से 700 पर्यटक आए हैं. अब तक 50 लाख रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है.
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क्यों चुना गया सरमोली: उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के सीमांत क्षेत्र पिथौरागढ़ में स्थित सरमोली गांव अपनी खूबसूरत वादियों, लोक संस्कृति, जीवन शैली, साफ-सफाई और ट्रेकिंग के लिए काफी प्रसिद्ध है. पंजाब की मल्लिका विर्दी और उनके केरल निवासी पति ने इस गांव को आधिकारिक रूप से गोद लिया है. मल्लिका विर्दी इस गांव की सरपंच हैं और वो हिमालयन आर्क संस्था भी चलाती हैं.
पिथौरागढ़ के सरमोली गांव को मिला बेस्ट विलेज टूरिज्म अवार्ड
सरमोली को देश के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव तक पहुंचाने का श्रेय भी मल्लिका विर्दी को ही जाता है. दरअसल, साल 1992 में मल्लिका विर्दी और उनके पति थियो एक पर्यटक के रूप में पिथौरागढ़ के मुनस्यारी क्षेत्र में पहुंचे थे. यहां की स्थिति देखकर दोनों ने यहीं बसने का मन बनाया और सरमोली गांव को संवारने का बीड़ा उठा लिया और महिला सशक्तिकरण के कार्य में भी जुट गए. सरमोली गांव को पिथौरागढ़ का पहला होम स्टे गांव होने का गौरव भी विर्दी ने ही दिलाया है. कई महिलाएं इस होम स्टे से जुड़ी हैं. हिमालय के सुंदर दृश्यों के बीच उत्तराखंडी लोक संस्कृति में ढले ये होम स्टे पर्यटकों की पहली पसंद बने हुए हैं. सरमोली 12 महीने पर्यटकों के लिए खुला रहता है.
गांव के लोगों के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाली विर्दी को साल 2007 में गांव का सरपंच चुना गया. उन्होंने जंगल, वन्य जीव व पक्षियों के संरक्षण के लिए वन कौथिग मेला भी गांव में शुरू किया. वहीं, तितलियों के संरक्षण के लिए तितली त्यौहार भी यहां मनाया जाता है. साल 2017 में गांव की महिलाओं को साथ लेकर विर्दी ने शराब के खिलाफ कड़ा अभियान भी चलाया था. बता दें कि, मल्लिका विर्दी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एम.फिल की पढ़ाई की है. उनका सपना था कि वो प्रोफेसर बनें लेकिन पिथौरागढ़ आने के बाद उनकी जिंदगी ने नया रुख लिया और उन्होंने पहाड़ी महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई को अपना मंत्र बना लिया.
कार्यक्रम में पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट
इस तरह हुआ चुनाव: बता दें कि, पर्यटन मंत्रालय ने बेस्ट टूरिज्म विलेज के लिए पूरे देश के तमाम गांवों का सर्वे करवाया था. इस सर्वे के तहत देखा गया कि गांव में किस तरह की सुविधाएं हैं, सफाई व्यवस्था कैसी है, ग्रामीणों का रहन-सहन, व्यवहार कैसा है, गांव के वातावरण और कनेक्टिविटी को भी परखा गया. उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रदेश के 795 गांवों के आवेदन केंद्र सरकार को भेजे गए थे, जिसके बाद सरमोली गांव को इस श्रेणी में सबसे बेस्ट माना गया.
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ऐसे पहुंचे सरमोली:हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो दिल्ली और अन्य शहरों से भी पंतनगर के लिए सीधा फ्लाइट मिलती है. एयरपोर्ट से कैब के जरिए पिथौरागढ़ पहुंचना होता है. फिर यहां से स्थानीय गाड़ियां सरमोली गांव पहुंचाती हैं. रेल यात्रियों के लिए काठगोदाम रेलवे स्टेशन इस गांव के करीब है. रेलवे स्टेशन से सरमोली गांव की दूरी करीब 280 किलोमीटर है. यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग भी लिया जा सकता है.