देहरादून: लॉकडाउन में मिली छूट के बाद प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी हो रही है. इन सबके बीच सरकार कह चुकी है कि हमें अब कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा और एहतियाती कदमों को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाना होगा.
सूचना विभाग के सहायक निदेशक और योग-आध्यात्म पर किताबें लिख चुके मनोज श्रीवास्तव का कहना है कि कोरोना महामारी आने के बाद लोगों में एक भय का माहौल है. जिसके चलते लोग मानसिक तौर पर परेशान हैं. नींद और तनाव जैसी स्थिति लोगों की जीवन शैली पर असर डाल रही है. मौजूदा परिस्थिति में लोगों का जीवन ऐसे प्रभावित हुआ है कि लोग जल्द ही अपना आपा खो देते हैं.
अब कोरोना के साथ जीना होगा. ये भी पढ़ें:LOCKDOWN: बच्चों की आंखों को सता रही ऑनलाइन क्लास
मनोज श्रीवास्तव के मुताबिक अब हमें कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा. लोगों को अपनी जिंदगी बचाने के लिए जीवनशैली को बदलना होगा. इसके साथ ही हमें भविष्य की चुनौतियों से लड़ने के लिए भी तैयार रहना होगा.
इंसान के अंदर कई तरह की शक्तियां होती हैं. जिसकी मदद से वह कई समस्याओं से लड़ सकता है. ऐसे में लोगों को अधिक मजबूत होने की जरूरत है. ताकि किसी भी समस्या का समाधान आसानी से निकाला जा सके. लोगों की बुरी आदत यह है कि जहां हमें सहन करना चाहिए, वहां हम सामना करते हैं और जहां हमें सामना करना चाहिए, वहां हम सहन करते हैं. हमें इस चीज को बदलना होगा.