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पड़ताल: ओडीएफ के दावों की पोल, खुले में शौच जाने को मजूबर ग्रामीण

प्रधानमंत्री द्वारा शुरू हुए स्वच्छ भारत अभियान की पोल खुलती नजर आ रही है. ऋषिकेश के 15 हजार की आबादी वाले क्षेत्र में लोग खुले में शौच जाने को विवश हैं. महिलाओं को आज भी शौच के लिए जंगलों का रास्ता अपनाना पड़ रहा है.

खुले में शौच मुक्त होने का दावा हुआ फेल.

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Published : Jul 19, 2019, 6:06 PM IST

ऋषिकेश: खुले में शौच मुक्त होने का दावा कर रही उत्तराखंड सरकार के दावे कितने सही है इस बानगी तीर्थनगरी में दिखती है. ऋषिकेश में बसा 15 हजार की आबादी वाला क्षेत्र कृष्णा नगर कॉलोनी में रहने वाले लोगों के पास शौचालय तक नहीं है. ऐसे में यहां के लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी. इसमें भारत को खुले में शौच मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया था. सरकार द्वारा कई राज्यों में पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त होने का दावा भी किया गया. खुले में शौच मुक्त होने का दावा उत्तराखंड सरकार ने भी किया, लेकिन सरकार के दावे धरातल पर नहीं बल्कि हवा-हवाई निकले. खुले में शौच मुक्त होने की पड़ताल करते हुए जब ईटीवी भारत ने कृष्णा नगर कॉलोनी का हाल लिया तो उत्तराखंड सरकार के सभी दावों की हकीकत सामने आई.

दरअसल जिले के आइडीपीएल के पास 15 हजार की आबादी वाली एक बस्ती है. यहां पर बिजली, पानी, सड़क तो है, लेकिन लोगों के लिए शौचालय नहीं है. इतनी बड़ी आबादी वाले इस क्षेत्र के लोगों को शौच के लिए जंगलों का रास्ता अपनाना पड़ता है.

खुले में शौच मुक्त होने का दावा हुआ फेल.
कृष्णानगर कॉलोनी में पंहुची ईटीवी भारत की टीम ने वहां के रहने वाले स्थानीय लोगों से बात की तो उनकी परेशानी सामने आई. यहां रहने वाली चमेली देवी ने अपनी परेशानियों को बताते हुए कहा कि शौचालय न होने की वजह से उनको और उनके साथ कई महिलाओं को जंगलों में जाना पड़ता है. उनका कहना है कि कई बार शौचालय बनाने की मांग की गई, लेकिन सरकार की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया गया.

वहीं, स्थानीय लोगों का कहना था कि उनके पास खुले में शौच जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. यहां के रहने वाले लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील किया कि एक बार वह खुद आकर यहां का हाल जाने.

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