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22 जनवरी को धामी सरकार देगी राम भक्तों को अनूठा उपहार, माता सीता के नाम से जाना जाएगा ये रिजर्व क्षेत्र

Sitavani conservation reserve in Uttarakhand अयोध्या के मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम और पूजन विधि आज से शुरू हो गई है. आज मंगलवार से यजमान डॉक्टर अनिल मिश्र के दशविधि स्नान से अनुष्ठान आरंभ हो चुका है. प्रतिमा निर्माण स्थल पर कर्मकुटी का पूजन हो रहा है. आज शाम को प्रतिमा निर्माण स्थल विवेक सृष्टि में हवन होना है. इधर उत्तराखंड में धामी सरकार भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के रंग में रंग चुकी है. 22 जनवरी को उत्तराखंड सरकार राम भक्तों को अनुपम उपहार देने जा रही है.

Sitavani Conservation Reserve
सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 16, 2024, 1:47 PM IST

देहरादून: भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हो रही है. इसके लिए आयोजन आज से शुरू हो गए हैं. चारों तरफ राम की भक्ति में लोग डूबे हुए हैं. उत्तराखंड सरकार भी लगातार राज्य में अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को राम भक्ति और 22 तारीख के कार्यक्रम से जोड़ रही है.

पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व का नाम बदलेगा

इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार 22 जनवरी को एक बड़ा फैसला लेने जा रही है. बंगाल टाइगर्स और हाथियों का सबसे बड़ा घर कहे जाने वाले कॉर्बेट नेशनल पार्क के पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व का नाम बदला जाएगा. धामी सरकार ने अब इस रिजर्व का नाम सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व रखने का फैसला लिया है.

इस घने जंगल में माता सीता का पौराणिक मंदिर है. उनके साथ ही लव और कुश की प्रतिमाएं विराजमान हैं. इस समय पूरे देश में राम भक्ति का माहौल है. ऐसे में जिस दिन से भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख निकली है, उसी दिन से स्थानीय लोग यह मांग कर रहे थे कि इस पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व का नाम बदला जाए.

पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व अब सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व होगा

ऐसे में जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड की धामी सरकार 22 जनवरी को इस कंजर्वेशन का नाम बदलने जा रही है. आध्यात्मिक रूप से भी यह क्षेत्र बेहद प्राचीन है. ऐसे में सीतावनी नाम से इसका नोटिफिकेशन जारी होने जा रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में प्रमुख सचिव को निर्देशित किया है. राज्य सरकार का यह मानना है कि इस कंजर्वेशन रिजर्व को न केवल हाथियों और बंगाल के टाइगर से पहचाना जाएगा, बल्कि बहुत कम लोगों को पता है कि इसके अंदर माता सीता का मंदिर भी है. स्थानीय लोगों की मंदिर में बहुत आस्था है. लिहाजा जो पर्यटक यहां पर जंगल की सफारी करने आएंगे, वह मंदिर के दर्शन भी करेंगे.

आपको बता दें कि यह रिजर्व पार्क एशियाई हाथियों के सबसे बड़े घर के रूप में भी जाना जाता है. इसको साल 2012 में बनाया गया था. इसे रामनगर तराई के कुछ रेंज को मिलाकर बनाया गया है. इस पूरे रिजर्व क्षेत्र में हाथियों, टाइगर और अन्य जीव जंतुओं की संख्या बहुत अधिक है.
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