विकासनगरः जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. सरकार लाख दावा करें, लेकिन स्थिति कुछ और बयां कर रही है. क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए कुछ समय पहले सचल चिकित्सा वाहन चलाया गया था, जिसमें महीने भर में प्रत्येक सेंटर पर एक दिन कैंप लगाया जाना सुनिश्चित था. इसमें अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, पैथोलॉजी और अन्य प्रकार की जांच बीपीएल परिवारों के मरीजों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही थी, लेकिन वर्तमान में सचल चिकित्सा वाहन पूरी तरह से बंद हो चुका है. चिकित्सा वाहन बंद होने से विशेष रूप से बीपीएल परिवार के मरीजों को अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे आदि के लिए 40 किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है.
पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं लड़खड़ाईं. गौर हो कि क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सचल चिकित्सा वाहन चलाया गया था. इसके तहत एक महीने में कालसी ,सहिया, त्यूणी, हटाल, कथियान व चकराता सहित क्वासी में एक दिन कैंप लगाया जाना सुनिश्चित था. फिलहाल यह सेवा चार वर्ष से बंद है. जिससे पर्वतीय अचंलों में रहने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
वर्ष 2010 विश्व बैंक के माध्यम से उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के माध्यम से विश्व बैंक पोषित योजना के तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप मे उत्तराखंड के 13 जिलों में यह योजना शुरु की गई थी. इस विशेष वाहन में अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे एवं पैथोलॉजी की सुविधा थी.
इस वाहन के जरिए आमजनों को मौके पर ही स्वास्थ्य सुविधाएं मिल जाती थी, लेकिन वर्ष 2015 में यह सुविधा बंद हो गई. ऐसे में यहां के नागरिकों को भारी परेशानी हो रही है.
क्षेत्र में बीपीएल मरीजों को अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं मिल पा रही हैं. साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है. गर्भवती महिला जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र साहिया पहुंचती हैं तो उन्हें भारी परेशान होती है. अल्ट्रासाउंड के लिए 40 से 50 किलोमीटर दूर विकासनगर जाने के लिए मरीज मजबूर हैं. साथ ही उन्हें महंगे दामों में अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है.
गर्भवती महिला निशा ने बताया कि विकासनगर में अल्ट्रासाउंड कराने के लिए जाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि वे बीपीएल श्रेणी में आती हैं और मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा पहले की तरह सचल चिकित्सा वाहन या अस्पताल में हो जिससे कि ग्रामीण मरीजों को समय पर स्वास्थ्य लाभ मिल सके.
दूसरी ओर क्षेत्र पंचायत नेवी की सदस्य इंदु बाला ने बताया कि तत्कालीन सरकार द्वारा सचल चिकित्सा वाहन संचालित किया गया था और वह 1 दिन साहिया में भी कैंप लगाते थे, लेकिन वर्तमान में सचल चिकित्सा वाहन बंद है. जिस कारण अल्ट्रासाउंड आदि के लिए विकासनगर जाना पड़ता है. हमारी सरकार से मांग है कि दोबारा यह सचल चिकित्सा वाहन शुरू किया जाए, जिससे बीपीएल परिवार के मरीजों को सुविधाएं मिल सके.
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दूसरी ओर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की महिला चिकित्सक डॉ. ममता नेगी ने बताया कि मरीज को जरूरत के अनुसार रेफर करना पड़ता है. पहले चिकित्सा वाहन के जरिए उन्हें यह सुविधा मिल जाती थी. मरीज आसानी से अल्ट्रासाउंड करवा लेते थे. काफी समय से सचल चिकित्सा वाहन नहीं आ रहा है, जिससे मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.