उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

विजयदशमी पर नेपाल पहुंचे आचार्य बालकृष्ण, 40 साल बाद परिजनों से मिले

Acharya Balkrishna Visit Nepal आचार्य बालकृष्ण करीब 40 साल बाद नेपाल स्थित अपने पुराने घर पहुंचे हैं. यह जानकारी खुद उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर दी है. जहां उन्होंने परिजनों के साथ विजयदशमी पर्व मनाया. साथ ही उन्होंने पुरानी यादों को भी साझा किया है.

Acharya Balkrishna Visit Nepal
नेपाल में आचार्य बालकृष्ण

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 24, 2023, 8:32 PM IST

Updated : Oct 24, 2023, 10:48 PM IST

देहरादूनःपतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण नेपाल प्रवास पर हैं. जहां उन्होंने नेपाल में स्थित अपने मूल घर पहुंचकर विजयदशमी पर्व मनाया. इसके अलावा बालकृष्ण ने रामपुर सांखर में काली गंडकी नदी के तट पर लोगों से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि आचार्य बालकृष्ण करीब 40 साल बाद अपने घर पहुंचे हैं. जहां उन्होंने अपने परिजनों से मुलाकात की है.

कई सालों बाद परिजनों से मिले आचार्य बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर नेपाल भ्रमण की जानकारी साझा की है. जिसमें उन्होंने लिखा है, पतंजलि के पूजन संन्यासी और साध्वियों के साथ नेपाल प्रवास के दौरान रास्ते में उत्तर प्रदेश के सीतापुर संगठन के कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया. जबकि, वो देर रात वहां पहुंचे थे, लेकिन कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह था और उनका भव्य स्वागत किया गया.
ये भी पढ़ेंःदेश के 8वें अमीर CEO हैं आचार्य बालकृष्ण, कामयाबी की कहानी है बेहद रोचक

आचार्य बालकृष्ण ने एक और एक्स (X) पोस्ट में लिखा है कि, महानवमी की पावन संध्या पर नेपाल के रामपुर सांखर में काली गंडकी नदी के तट पर कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों से मुलाकात हुई. उनका कहना है कि योग गुरु बाबा रामदेव के तप और पुरुषार्थ की उर्जा के साथ साधकों की साधना से योग व आयुर्वेद वैश्विक स्तर तक पहुंच पाया है.

आचार्य बालकृष्ण ने नेपाल में मनाया दशहरा

वहीं, आचार्य बालकृष्ण ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट साझा किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है, करीब 40 साल पहले एक बालक सनातन संस्कृति और विश्व के लिए कुछ करने की चाहना से अपने घर से अकेला निकला था. इन 40 सालों में उन बूढ़े मां बाप की आंखें हमेशा राह निहारती थी कि विजयदशमी का त्योहार आएगा और हमारा बेटा कभी तो हमारे बीच होगा.'

नेपाल में आचार्य बालकृष्ण

बालकृष्ण ने आगे लिखा है कि 'उन बूढ़ी आंखों में हर्ष का कोई ठिकाना नहीं रहा, जब 40 साल के बाद वो बेटा स्वामी जी के तप पुरुषार्थ के बल से अपने परम तेजस्वी शताधिक संन्यासी और साध्वियों के साथ उस छोटे गांव में लौटा.' यह दृश्य ना केवल भाव विह्वल करने वाला था. बल्कि, सबको रोमांचित करने वाला भी था. इस दृश्य का प्रत्यक्ष अनुभव मैं स्वयं अपने पुराने गांव में लौट कर कर रहा था.'

नेपाल में जन्मे आचार्य बालकृष्णःबता दें कि आचार्य बालकृष्ण का जन्म नेपाल में हुआ था. उनकी माता का नाम सुमित्रा देवी और पिता का नाम जय बल्लभ है. बालकृष्ण का मूल नाम बालकृष्ण सुवेदी है. जो बेहद छोटे परिवार से आते हैं. आचार्य बालकृष्ण पांच भाई बहनों में से एक हैं. उनके चार भाई आज भी नेपाल में सामान्य जीवन जी रहे हैं.

बालकृष्ण ने गुरुकुल में अपनी शिक्षा दीक्षा हासिल की. इसे बाद योग और आयुर्वेद में उपलब्धि हासिल की. साल 2000 में योग गुरु बाबा रामदेव के साथ मिलकर पतंजलि योगपीठ समेत दूसरी संस्थाओं की स्थापना की. आज पतंजलि योगपीठ देश ही नहीं बल्कि, दुनिया में भी अपनी पहचान बना चुका है. जिसका सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपए में है.
ये भी पढ़ेंःजब मुश्किल में थे प्राण, एलोपैथी आई काम, डॉक्टर बोले- तब हमने बचाई थी जान

Last Updated : Oct 24, 2023, 10:48 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details