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Published : Nov 5, 2019, 9:22 PM IST

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लड़कियों के जीवन में मासिक धर्म नहीं बनेगा रुकावट, सैनेटरी पैड के लिए होगी भारत यात्रा

सैनेटरी पैड यात्रा को लेकर परमार्थ निकेतन और सच्ची सहेली ने मिलकर मुहिम की शुरुआत की है. ये जागरुकता रैली कश्मीर से कन्याकुमारी और ऋषिकेश से राष्ट्रपति भवन तक जाएगी.

लड़कियों के जीवन में मासिक धर्म नही बनेगा फुलस्टॉप

ऋषिकेश:परमार्थ निकेतन में महिला सशक्तीकरण का अद्भुत कार्य देखने को मिला. उत्तरप्रदेश के हापुड से दो महिलाएं परमार्थ निकेतन पहुंची, उन्होंने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती से मुलाकात की और बताया कि हापुड़ में पैड बनाने वाली मशीन लगाई गई है. महिलाओं ने बताया कि किस प्रकार वे पहले दो महिलाएं थी और अब धीरे-धीरे गांव के लोग भी पैड बनाने के लिए राजी हो चुके हैं. अब 6 महिलाओं का दल प्रतिदिन लगभग 6 हजार पैड बनाता है. उनका नेटवर्क अभी 40 गांवों में फैला हुआ है, जहां वे अपने द्वारा बनाए गए पैड को वितरित करती हैं.

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सच्ची सहेली के साथ गंगा एक्शन परिवार और परमार्थ निकेतन के बीच इस कार्य को आगे ले जाने पर चर्चा हुई. इसमें पूरे भारत में पैड यात्रा को ले जाना, पैड मशीन लगाना और मासिक धर्म के प्रति महिलाओं को जागरुक करना शामिल है. सच्ची सहेली दल में शामिल मोलिसा बताती हैं कि जब वे शिक्षक के तौर पर सेवाएं दे रही थी तो उन्होंने एक लेख पढ़ा था, जिसमें भारतीय युवतियां मासिक धर्म शुरू होने की अवस्था में स्कूल छोड़ देती हैं. इसके पीछे का कारण उनके पास पैड नहीं होना होता था. ऐसे में उन्हें लगा कि भारत में पैड बनाने वाली मशीन होनी चाहिए. इसी परिपेक्ष्य में उन्होंने हापुड़ में पैड बनाने वाली मशीन लगाई. हापुड़ में स्नेहा और सुमन इस क्षेत्र में पैड बनाने का कार्य कर रही हैं. इस मुहिम पर एक फिल्म भी बन चुकी है, जिसे ऑस्कर पुरस्कार भी मिल चुका है.

स्वामी चिदानन्द सरस्वती का कहना है कि पैड यात्रा कश्मीर से कन्याकुमारी और ऋषिकेश से राष्ट्रपति भवन तक होगी. संसार के जीवन चक्र को आगे बढ़ाने में जिस मासिक चक्र का अहम योगदान है, वह शर्म का नहीं गर्व का विषय है. यह एक नन्हीं सी बेटी को ईश्वर द्वारा दिया उपहार है. इसके माध्यम से वह नियंता द्वारा बनाई इस सृष्टि में अपना भी योगदान दे पायेंगी.

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स्वामी चिदानंद ने आगे कहा कि परमार्थ निकेतन में मासिक धर्म सुरक्षा और स्वच्छता विषय पर प्रशिक्षण देने का उद्देश्य है कि भारतीय समाज अपनी रूढ़िवादी परम्पराओं से ऊपर उठकर इस बदलाव को स्वीकार करे. बेटियों को मासिक धर्म के विषय में सही जानकारी दे.

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