विकासनगर: जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में आज भी पांडव नृत्य का खास महत्व है. इसकी बानगी नराया गांव में देखने को मिल रही है. यहां गांव की खुशहाली एवं थाती माटी के शुद्धिकरण के लिए 5 दिनों और पांच रातों तक हवन व पांडव नृत्य किया गया. नराया गांव में करीब 42 साल बाद यह मौका आया है. पांडव नृत्य की शुरूआत 11 अगस्त सुबह से हुई.
जिसमें दीप जलाकर पंचरता का शुभारंभ किया गया. 3 दिन तक गांव में पूजा अर्चना और पांडव नृत्य के बाद तीसरे दिन की रात पांडव, यमुना स्नान कर गांव पहुंचे. उसके बाद हवन पूजन व पांडव नृत्य रविवार को समाप्त हुआ.
पंडित संत राम जोशी बताते हैं पांडव पंचरता (पांच दिन और रात पांडव नृत्य) 5 दिनों में सबसे पहले जौनसार बावर के कुल देवता महासू की पूजा की जाती है. शिलगुर महाराज की पूजा कुलदेवी छाती माटी की पूजा के साथ में सभी देवी देवताओं की इस दौरान पूजा अर्चना होती है.