देहरादून: प्रदेश में विधानसभा चुनाव सामने आते ही राजनीतिक दलों को दलितों की चिंता सताने लगती है. इसी कड़ी में आज कांग्रेस दलित वोट बैंक को साधने के लिए रणनीति के तहत गांवों में रात्रि प्रवास करेगी. कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता दलित परिवारों के घरों में जाएंगे और रात्रि प्रवास करेंगे.
पार्टी को मजबूत करने और लोगों को कांग्रेस की विचारधारा से जोड़ने को लेकर आज कांग्रेस के तमाम नेता 670 न्याय पंचायतों में जाकर दो रात एक गांव में बिताएंगे और वहां चौपाल लगाएंगे, ध्वजारोहण करेंगे और सह भोज करेंगे. गांव में रात को रुक कर लोगों को पार्टी से जोड़ने को लेकर बैठक आयोजित करेंगे.
तीन दिवसीय कार्यक्रम के तहत कांग्रेस पार्टी गांव में पहुंचकर रात्रि प्रवास करने के साथ ही परिवार के साथ भोजन करेगी और मेनिफेस्टो को लेकर चर्चा भी करेगी. इस दौरान गांव में दलित बस्तियों का भ्रमण करने के साथ ही सफाई अभियान भी चलाया जाएगा.
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आप ने साधा निशाना:आम आदमी पार्टी का कहना है कि 5 वर्षों से मित्र विपक्ष की भूमिका निभाते-निभाते कांग्रेस आज मृत विपक्ष की भूमिका में आ गई है. आप के प्रवक्ता नवीन पिरशाली का कहना है कि चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस को गांधी जी की याद आ गई है.
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि गांधी जयंती प्रत्येक वर्ष आती है, लेकिन इससे पहले कांग्रेस ने उनकी जयंती को धूमधाम से क्यों नहीं मनाया? अब जबकि कांग्रेस के पास 600 कार्यकर्ता भी नहीं बचे, तब कांग्रेस को 600 गांवों की ओर जाने की याद आई है.
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भाजपा ने कहा नकल कर रही कांग्रेस: भाजपा ने भी कांग्रेस नेताओं के 670 न्याय पंचायतों में जाकर प्रवास किए जाने पर निशाना साधा है. भाजपा प्रवक्ता विपिन कैंतूरा का कहना है कि अब कांग्रेस भाजपा की नकल करने लग गई है. भाजपा के पदाधिकारी प्रवास करते हैं तो कांग्रेस को भी गांवों की ओर प्रवास करने की याद आई है, लेकिन नकल के लिए भी अकल की जरूरत होती है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस कितना भी प्रयास कर ले, लेकिन अब कुछ होने वाला नहीं है. उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके एक नेता पंजाब में प्रवास करने गए तो वहां बगावत हो गई, अब उनके नेता गांव-गांव जाकर एक दूसरे की जड़ों में मट्ठा डालने का काम करने वाले हैं.
बता दें कि दलित कार्यक्रम के चलते उत्तराखंड का दलित समाज चर्चाओं में आ गया है, इसका एक प्रमुख कारण यह माना जा रहा है कि इस समुदाय के पास राज्य के कुल वोटों में से 19 फीसदी वोट बैंक है. ऐसे में राजनीतिक दल आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दलित समाज को रिझाने में लगी हुई हैं.