देहरादून: विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक-दूसरे से सदन में दो-दो हाथ करने के लिए सुबह से ही तैयार थे. जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई विपक्ष के विधायकों ने महंगाई मतलब प्याज के दामों को लेकर सरकार पर हमला किया. वहीं, सत्ता पक्ष के नेताओं को भी मालूम था कि विपक्ष किन-किन मुद्दों पर बहस करेगी. लिहाजा वह भी दूसरे राज्यों में प्याज, आटा, दाल और चीनी के क्या भाव है पूरे आंकड़े अपने साथ लेकर आए थे.
ममता राकेश ने बताएं प्याज के फायदे
ये कह सकते है कि बुधवार को सदन में वह सब कुछ हुआ जो विधायकों के लिए होना चाहिए. कांग्रेस की विधायक ममता राकेश ने न केवल प्याज खाने के फायदे बताएं, बल्कि खाने के अलावा प्याज से क्या-क्या इस्तेमाल ये भी गिनाए.
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जीवजंतु का उठा मुद्दा
सदन में एक मुद्दा और उठा वो था उत्तराखंड में विलुप्त होती पक्षियों की प्रजातियों. इस मुद्दे पर भी वन मंत्री हरक सिंह रावत ने पहले ही जवाब तैयार कर रखा था. उन्होंने सदन को बताया कि चिड़िया और गौरैया समेत तमाम जीव जंतु की जो प्रजाति उत्तराखंड में है, वह सालों से जस की तस है. उनमें कोई कमी नहीं आई है. यानी उत्तराखंड में कोई भी जीव जंतु न तो विलुप्त हुआ है और न ही उड़कर दूसरों की सीमा में गया है. हालांकि मंत्री के इस जवाब पर सदन में विपक्ष के नेताओं के साथ-साथ सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी खूब तीर चलाए.
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प्याज पर चर्चा पलायन पर खामोशी
एक दूसरे के सवालों पर कोई ताली पीटता तो कोई बेंच बजाता. इसी तरह सुबह लगभग 11:00 बजे शुरू हुई सदन की कार्यवाही शाम पांच बजे तक चली. पूरे दिन सदन में प्याज का मुद्दा छाया रहा, लेकिन ताज्जुब की बात तो यह है कि किसी भी विधायक ने उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों से हो रहे पलायन पर कोई बात नहीं की. यानि किसी ने पलायन का मुद्दा नहीं उठाया. सदन की पूरी कार्यवाही में ऐसा लग रहा था कि मानों उत्तराखंड में प्याज के बड़ा कोई मुद्दा नहीं है. शाम को कैबिनेट की बैठक भी हुई लेकिन उसमें भी पलायन को लेकर कोई बात नहीं हुई. शीतकालीन सत्र के पहले दिन की कार्यवाही देखकर तो यहीं लगता है कि उत्तराखंड के नेताओं को पलायन से ज्यादा प्याज की चिंता है.