देहरादूनः विधानसभा सत्र के पहले दिन विपक्ष ने सरकार पर सत्ता पक्ष के दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के अपमान का आरोप लगाया है. विपक्ष के विधायकों ने कहा कि सरकार की तरफ से परंपरा के विपरीत जाकर निधन के निवेश के साथ-साथ अनुपूरक बजट लाया गया, जो कि दिवंगत आत्मा का अपमान है. साथ ही उन्होंने कहा कि संसदीय परंपराओं को लेकर आज एक बार फिर से प्रकाश पंत को सदन में याद किया गया.
बता दें कि, सदन के पहले दिन विपक्ष के विधायकों ने दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के अपमान को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. एक तरफ जहां दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन पर सत्ता पक्ष की ओर से अपनी संवेदनाएं व्यक्त की गई तो वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष का कहना है कि यह सरकार के मगरमच्छ के आंसू हैं. विपक्ष ने आरोप लगाया कि, सुरेंद्र सिंह जीना हमारे बीच के एक होनहार विधायक थे और उनके निधन के बावजूद भी सरकार द्वारा निधन के निर्देश के साथ-साथ अनुपूरक बजट को सदन के पटल पर रखा गया, जो कि दिवंगत आत्मा का अपमान है.
राजकीय सम्मान से नहीं की गई जीना की अंतेयष्टि- फर्त्याल
सदन से बाहर आकर विपक्ष के विधायक काजी निजामुद्दीन और उपनेता प्रतिपक्ष करण मेहरा ने मीडिया को बताया कि, सदन के भीतर सत्तापक्ष के विधायक पूरन फर्त्याल ने ही दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के अपमान को लेकर सरकार को आईना दिखाने का काम किया है. कांग्रेस के विधायकों द्वारा जानकारी दी गई कि, सदन के भीतर पूरन फर्त्याल ने जीना के अंत्येष्टि को राजकीय सम्मान के साथ ना किए जाने पर गहरा दुःख व्यक्त किया है.
बीजेपी विधायक पूरन फर्त्याल द्वारा सदन में जानकारी दी गई थी कि, सुरेंद्र सिंह जीना की अंतिम कोविड-19 नेगेटिव थी. जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार सामान्य प्रक्रिया के तहत किया गया. लेकिन इसके बावजूद भी सरकार द्वारा उन्हें अपमानित करते हुए उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विदा नहीं किया गया, जो कि पहली दफा राज्य में हुआ है. विपक्ष के विधायकों ने पूर्व के कई घटनाक्रमों का हवाला देते हुए कहा कि राजकीय सम्मान पूर्व विधायकों को भी दिया जाता है, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार द्वारा वर्तमान विधायक का राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि ना करके अपमान किया है.