देहरादून:उत्तराखंड में बेलगाम नौकरशाही को लेकर अक्सर आवाज उठती रहती है. कई बार तो यह आवाज इतनी मुखर होकर सामने आई कि सरकार को ही असहज कर दिया. इन दिनों फिर उत्तराखंड की फिजा में नौकरशाही को लेकर सियासत चरम पर है. इस सुलगते कोयले को खुद कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने हवा दी है. इस मामले को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कमेटी का गठन भी किया. वहीं अब इस पर राजनीतिक मामलों के जानकार और विशेषज्ञ सवाल खड़े कर रहे हैं.
अंतिम शक्ति मुख्यमंत्री के पास:विशेषज्ञों का कहना है कि आज तक देश के किसी भी प्रदेश में किसी भी मुख्यमंत्री ने यह पावर कभी भी कैबिनेट मंत्रियों को नहीं दी है. क्योंकि अगर किसी भी आईएएस की एसीआर (Annual Confidential Report ) पर कोई कार्रवाई करनी होती है, तो उसके लिए अंतिम शक्ति मुख्यमंत्री के पास होती है. इसलिए मुख्यमंत्री सामान्यत: कार्मिक और गृह विभाग अपने पास ही रखते हैं.
क्या कह रहे जानकार:राजनीतिक मामलों के जानकार जय सिंह रावत कहते हैं कि अखिल भारतीय सेवाओं के लिए वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) लिखने की वर्तमान प्रणाली अखिल भारतीय सेवाओं (गोपनीय रोल) नियम 1970 की शासित हैं. इस नियम के तहत किसी कार्मिक की गोपनीय रिपोर्ट में उनके काम के प्रदर्शन,चरित्र, आचरण और गुणों आदि का आकलन किया जाता है. इस नियम के अनुसार एसीआर तीन स्तरों से होकर गुजरती है. इसमें एक कलेंडर वर्ष में कार्मिक के कार्यों का पर्यवेक्षण करने वाला अधिकारी केंद्र सरकार के तय किए गए परफॉर्मे पर रिपोर्ट लिखता है. उसके बाद उसकी समीक्षा एक रिव्यूविंग अधिकारी करता है. उसके बाद उस रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय लेने का प्राधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है.