देहरादून: उत्तराखंड में कैंपा योजना (Uttarakhand CAMPA Scheme) के तहत 51 फीसदी बजट ही खर्च हो पाया है, जबकि सरकार के 5 साल पूरे होने जा रहे हैं और कैंपा के तहत वन्य जीव और वनों की बेहतरी के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं आगे बढ़ाई जा सकती थी. लेकिन इसे राज्य में वन विभाग के अधिकारियों की सुस्ती और केंद्र से औपचारिकताएं पूरी ना होने के कारण मंजूरी नहीं मिल पाई. प्रदेश में 51 फीसदी बजट ही राज्य खर्च कर पाया है.
उत्तराखंड वन विभाग (Uttarakhand Forest Department) में केंद्र से मिलने वाले कैंपा के तहत बड़े बजट का महज 51 फीसदी बजट ही राज्य खर्च कर पाया है. खास बात यह है कि महकमे को कैंपा के तहत एक बड़ी धनराशि मिल सकती थी, जिससे राज्य में वन्यजीवों से जुड़ी योजनाओं को पूरा किया जा सकता था. यही नहीं वनों की बेहतरी के लिए भी कई योजनाएं इस बजट से पूरी की जा सकती थी.
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बता दें कि अब तक राज्य को सैकड़ों करोड़ रुपये कैंपा के तहत मिल चुके हैं जबकि इतना ही बड़ा बजट राज्य को और मिल सकता था. खुद विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत ने इस बात को कुबूल किया है कि विभाग 51 फीसदी बजट ही खर्च कर पाया है. हालांकि उनके द्वारा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जल्द ही केंद्र से औपचारिकताओं को पूरा किया जाए. ताकि राज्य कैंपा के बजट का सही उपयोग कर सके.
वन मंत्री हरक सिंह रावत (Uttarakhand Forest Minister Harak Singh Rawat) ने कहा कि वन्यजीवों के हमले में मारे जाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजे के रूप में भी ज्यादा रकम मिल सके, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. इस दिशा में अधिकारियों को ऐसे परिवारों को ₹10 लाख तक का मुआवजा देने के लिए प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा गया है. फिलहाल ऐसे परिवारों को केवल ₹4 लाख ही दिए जाते हैं, लेकिन राज्य सरकार विचार कर रही है कि इसमें स्टेट फंड से भी बजट को बढ़ाकर ₹10 लाख का मुआवजा ऐसे परिवारों को दिया जाए.