पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं निवेशक देहरादून: राज्य में दिसंबर महीने में होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए सरकार पिछले कई महीनों से जुटी हुई है. न केवल शासन के कई अधिकारियों को इस काम में सीधे तौर पर जिम्मेदारी दी गई है, बल्कि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी राज्य में निवेशक लाने के लिए विदेश से लेकर देश के कई राज्यों तक का दौरा कर रहे हैं. राज्य सरकार की तरफ से काफी पहले ही ढाई लाख करोड़ रुपए के MoU साइन करवाने के लिए लक्ष्य तय किया हुआ है. इस लक्ष्य की तरफ राज्य सरकार बढ़ती हुई भी नजर भी आ रही है.
एक लाख करोड़ से ज्यादा के एमओयू हो चुके साइन: फिलहाल एक लाख करोड़ से ज्यादा के MoU साइन हो चुके हैं. अगले 20 दिनों में यह आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा होने की उम्मीद है. लेकिन सरकार की तरफ से तय किए गए लक्ष्य के बराबर निवेश धरातल पर उतरना मुमकिन नहीं दिखाई दे रहा. ऐसा हम नहीं बल्कि खुद सरकार में मुख्यमंत्री के सचिव भी यही मानते हैं. दरअसल MoU साइन करने के दौरान जो शर्तें रखी जाती है, उसमें बाद में कई परिस्थितियां बदल जाती हैं और MoU धरातल पर नहीं उतर पाते. यही बात सचिव मुख्यमंत्री और नियोजन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम भी मानते हैं.
...तो सिर्फ इतना ही होगा निवेश: सरकार में नियोजन विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम कहते हैं कि वैसे तो जब कहीं भी MoU साइन किए जाते हैं, तो उसमें 10 से 15% MoU ही धरातल पर उधर पाते हैं. लेकिन उत्तराखंड में सरकार 25 से 50% तक के MoU को धरातल पर उतारने की कोशिश कर रही है. इस लिहाज से देखा जाए तो सरकार का टारगेट करीब 1 लाख करोड़ का निवेश धरातल पर उतारने का होगा. या यूं कहें कि अधिकतम इतने के निवेश को ही सरकार धरातल पर उतार पाएगी.
पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं निवेशक: फिलहाल ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. कई बड़ी कंपनियों के साथ MoU भी साइन हो चुके हैं. इसके बाद भी पहाड़ी जिलों के लिए निवेशक मिलना सरकार के लिए मुश्किल हो रहा है. ऐसे में सरकार पर्यटन क्षेत्र में पहाड़ों पर निवेश के लिए ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है. मैदानी जिलों की तुलना करें तो पहाड़ी क्षेत्रों में निवेशक बहुत ज्यादा निवेश नहीं करना चाहते. मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े निवेशक तो पूरी तरह मैदानी जिलों में ही अपने काम को स्थापित करना चाहते हैं. ऐसे में गिने-चुने सेक्टर ही ऐसे हैं, जिनको पहाड़ों पर ले जाने की कोशिश हो रही है. इसी तरह कुछ कंपनियां ही हैं जो पहाड़ों पर पर्यटन या किसी गैर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर निवेश करना चाहती हैं.
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