देहरादून: पुरानी टिहरी को जलमग्न हुए 18 साल पूरे हो गए. 31 जुलाई 2004 वह दिन था जब पूरे टिहरी शहर को डुबो दिया गया. आखिरी व्यक्ति को इसी दिन यहां से विस्थापित किया गया. आज भी पुरानी टिहरी को याद कर वहां के वाशिंदे भावुक हो उठते हैं. राजधानी देहरादून के बल्लूपुर चौक स्थित वनस्थली इलाके में रहने वाले सुबोध बहुगुणा बीते कई सालों से पुरानी टिहरी की यादों को कुछ अलग अंदाज में संजोय हुए हैं. सुबोध बहुगुणा ने अपने बुजुर्गों और पिता स्वर्गीय गोपाल राम बहुगुणा की प्रेरणा पर अपने घर में ही पुराने टिहरी शहर की प्रतिकृति तैयार की हुई है. जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और पुरानी टिहरी की याद को ताजा करते हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए बहुगुणा ने बताया कि पुरानी टिहरी की प्रतिकृति को उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय गोपालराम बहुगुणा के मार्ग दर्शन से तैयार किया है. पुरानी टिहरी की प्रतिकृति को तैयार करने के लिए बहुगुणा ने घरों में इस्तेमाल होने वाली टाइल्स के टुकड़े, ईंट के टुकड़े, पुराने गद्दे की रुई और सीमेंट इत्यादि का इस्तेमाल किया.
बारिश के बावजूद टिहरी शहर के कई मूल निवासियों समेत गढ़वाल मंडल विकास निगम के महाप्रबंधक अनिल गबरियाल ने भी इस शहर की अपनी यादें ताजा कीं. साथ ही इस शहर की रेप्लिका पर हर साल की तरह दिए और कैंडल जलाकर इस शहर को याद किया गया.