देहरादूनःउत्तराखंड में सरकारी नौकरियों के नाम पर पिछले करीब साढे़ 4 साल में गिने-चुने पदों पर ही सरकार आयोगों के माध्यम से भर्ती करवा पाई है. खास बात यह है कि कई परीक्षाएं तो ऐसी हैं, जो बेवजह बार-बार स्थगित की जा रही है या फिर हाईकोर्ट में याचिका लगने के बाद पेंडिंग हैं. इन्हीं में से स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी एक परीक्षा ऐसी भी है, जिसका इंतजार उत्तराखंड ही नहीं प्रदेश के तमाम राज्यों के युवा भी कर रहे हैं.
उत्तराखंड में कोरोनाकाल के दौरान भी स्वास्थ्य विभाग से जुड़े पदों को स्थाई रूप से भरने में सरकार कामयाब नहीं हो पा रही है. आलम ये है कि राज्य में नर्सिंग की भर्ती को तीन बार स्थगित किया जा चुका है. पहले जहां कोरोना का बहाना लेकर सरकार इस परीक्षा को रद्द कर चुकी है.
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अब मामले कम होने के बाद भी इस परीक्षा को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. हालांकि, इसके पीछे की वजह खुद अभ्यर्थी भी हैं, लेकिन बेरोजगारी के समय में सरकार रोजगार जैसे अहम मसलों पर भी महीनों तक निर्णय नहीं ले पा रही है और यह परीक्षा इस बात का सबसे बड़ा सबूत है.
नर्सिंग भर्ती परीक्षा को अब तक क्या-क्या हुआ? इस परीक्षा को लेकर विज्ञप्ति जारी होने के बाद कुल 9001 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया. यह परीक्षा 2621 पदों के लिए होनी है. बीते 18 अप्रैल को परीक्षा आयोजित करने की बात की गई, लेकिन कोरोना का बहाना लेकर परीक्षा स्थगित कर दी गई.
जबकि, 28 मई को परीक्षा होनी थी, लेकिन कम सेंटर होने के कारण फिर परीक्षा स्थगित हुई. जून और जुलाई में फिर इस परीक्षा को प्रस्तावित किया गया, लेकिन इस बार एनएचएम और संविदा नर्सिंग कर्मियों ने अपनी कुछ मांगें रख दी और परीक्षा रद्द हो गई.
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बता दें कि राज्य में इस परीक्षा के लिए तैयारियां तो पूरी कर ली गई है, लेकिन परीक्षा आयोजित नहीं हो पा रही है. इस परीक्षा को उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित कराया जाना है, जिसके लिए 27 केंद्र भी चिन्हित किए गए थे.
दो हजार से ज्यादा पदों के लिए होने वाली इस परीक्षा में उत्तराखंड समेत देश के दूसरे राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, हिमाचल, हरियाणा, चंडीगढ़ से लेकर दक्षिण भारत के राज्यों से भी युवाओं ने आवेदन किया है. हालांकि, युवा सरकार के ढुलमुल रवैया से अब बेहद ज्यादा खफा हैं. इस परीक्षा में कुछ खास मांगों के साथ इन पदों को जल्द भरने की मांग कर रहे हैं.
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एनएचएम और संविदा नर्सिंग कर्मियों की यह है मांगें: नर्सिंग के लिए करीब 11 साल बाद यह परीक्षा हो रही है, जिससे युवाओं को यह परीक्षा एक आखिरी उम्मीद के रूप में दिख रही है. यही कारण है कि संविदा और एनएचएम के तहत काम कर रहे नर्सिंग कर्मी वर्ष वार भर्ती करने की मांग कर रहे हैं. यानी सीनियरिटी के हिसाब से भर्ती किए जाने की मांग की जा रही है. जिस पर सरकार विचार भी कर रही है.
इस मामले पर हाल ही में कोर्स करने वाले जूनियर वर्ष वार भर्ती का विरोध कर रहे हैं और परीक्षा के जरिए ही भर्ती कराने की मांग कर रहे हैं. लिहाजा, सरकार इसके लिए बीच का रास्ता ढूंढ रही है. माना जा रहा है कि सीनियर नर्सिंग कर्मियों को कुछ वेटेज देने पर सरकार की तरफ से विचार चल रहा है.
चैट और ऑडियो भी हुई वायरलः उत्तराखंड में नर्सिंग स्टाफ की भर्ती को लेकर बड़ी गड़बड़ी से जुड़ा एक मामला सामने आया. जिसमें दो युवतियों की बातचीत का एक ऑडियो वायरल हुआ. ऑडियो में संविदा नर्सिंग कर्मियों के नियमितीकरण के लिए पैसों की लेनदेन से जुड़ी बातें करती सुनाईं दे रही थीं.
कथित ऑडियो में एक तरफ 500 एनएचएम संविदा नर्सिंग कर्मियों से एक-एक लाख रुपये इकट्ठा कर ₹5 करोड़ रुपये जुटाने की बात कही गई. दूसरी तरफ यह भी दावा किया गया कि अब तक नर्सिंग भर्ती परीक्षा के स्थगित होने में भी इन्हीं कर्मियों का हाथ है. उधर, मामला सामने आने के बाद सूबे में जमकर राजनीति भी हुई.