देहरादून: मानसून सीजन के नजदीक आते ही चारधाम दर्शनों को जाने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है. 15 दिन पहले जहां 50 हजार के आसपास तीर्थ यात्री प्रतिदिन चारधाम दर्शनों को पहुंच रहे थे, वहीं अब यह संख्या 26 हजार के आस-पास सिमट गई है. आने वाले दिनों में इसमें और कमी आने की संभावना है.
शुरुआती दिनों में प्रतिदिन 55 से 60 हजार के बीच तीर्थ यात्री चारों धाम पहुंच रहे थे. इससे प्रमुख पड़ावों के साथ ही चारधाम यात्रा के प्रवेशद्वार ऋषिकेश में भी सभी होटल, धर्मशाला, आश्रम, यहां तक कि चारधाम यात्रा बस टर्मिनल कंपाउंड भी तीर्थ यात्रियों से पैक हो गए थे. बस टर्मिनल कंपाउंड में पंजीकरण के लिए बने काउंटर के बाहर लंबी-लंबी लाइन लगने लगीं. ऐसी स्थिति में तीर्थ यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सरकार को चारधाम में स्लाट व्यवस्था तक लागू करनी पड़ी.
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अब मानसून सीजन के नजदीक आते ही बीते एक पखवाड़े से तीर्थ यात्रियों की संख्या काफी घट गई है. दरअसल, मानसून के दौरान प्राकृतिक आपदाएं चारधाम यात्रा की चुनौतियां बढ़ा देती हैं. वर्षा के चलते चारधाम यात्रा मार्गों पर जगह-जगह भूस्खलन जोन सक्रिय हो जाते हैं. भू-धसाव, पहाड़ी से बोल्डर गिरने, सड़कों के पुश्ते ढहने आदि कारणों से अक्सर यात्रा को रोकने की नौबत आ जाती है. ऐसे में सीमित संख्या में ही तीर्थ यात्री चारधाम दर्शनों को पहुंचते हैं. अब जबकि मानसून सर पर है तो तीर्थ यात्रियों की संख्या भी स्वाभाविक ढंग से घटती जा रही है. यह स्थिति अगस्त आखिर तक बनी रहेगी.
अब तक 24 लाख श्रद्धालु कर चुके चारधाम दर्शन:तीन मई को गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के बाद से अब तक चारों धामों में श्रद्धालुओं की संख्या 24 लाख के पार पहुंच गई है. रविवार 27 जून शाम 4 बजे तक 24 लाख 31 हजार 734 श्रद्धालु चारों धामों के दर्शन कर चुके हैं.
मानसून की दस्तक ने चारधाम यात्रा पर लगाई 'ब्रेक' यात्रा के लिए बारिश के दिनों की चुनौतियां
- जगह-जगह भूस्खलन जोन सक्रिय होना.
- पहाड़ी से बोल्डर व मलबा गिरना.
- अचानक सड़कों के पुश्ते ढह जाना.
- बरसाती नाले उफान पर होने से सड़कों का क्षतिग्रस्त होना.
- बरसाती नाले उफान पर होने से सड़कों का क्षतिग्रस्त होना.
- अतिवृष्टि से सड़क व पैदल यात्रा मार्गो का धंस जाना.
बारिश के दिनों में इन बातों का रखें ध्यान
- यात्रा की योजना बनाने से पहले मौसम की जानकारी जरूर लें.
- लगातार वर्षा होने की स्थिति में पड़ावों से आगे न बढ़ें.
- पैदल मार्ग पर बरसाती के साथ ही आगे बढ़ें.
- पानी व जरूरी दवाइयां साथ लेकर चलें.
- यात्रा में जल्दबाजी न करें.
- मौसम खुलने पर ही यात्रा करें.
- यातायात के नियमों का अनिवार्य रूप से पालन करें.