देहरादून: यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले (UKSSSC Recruitment Scam) की सीबीआई जांच की मांग (CBI investigation requested) मुखर हो गई है. छात्र संगठन मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं एनएसयूआई कार्यकर्ता (NSUI Workers Protest) राजपुर रोड स्थित कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में एकत्रित हुए. उसके बाद एक जुलूस की शक्ल में पैदल मार्च निकालते हुए सचिवालय की ओर बढ़े, लेकिन सुभाष रोड पर पहले से ही मौजूद भारी पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय से पहले बैरिकेडिंग लगाकर लगाकर रोक दिया. रोके जाने से नाराज प्रदर्शनकारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगे.
UKSSSC पेपर लीक और भर्ती घोटाले के खिलाफ NSUI का प्रदर्शन, महिलाओं को 30% आरक्षण की मांग - NSUI का प्रदर्शन
यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले (UKSSSC Recruitment Scam) की सीबीआई जांच की मांग को लेकर एनएसयूआई कार्यकर्ता (NSUI Workers Protest) राजपुर रोड स्थित कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में एकत्रित हुए. उसके बाद एक जुलूस की शक्ल में पैदल मार्च निकालते हुए सचिवालय की ओर बढ़े, लेकिन सुभाष रोड पर पहले से ही मौजूद भारी पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय से पहले बैरिकेडिंग लगाकर लगाकर रोक दिया.
इस दौरान एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष (NSUI State President) मोहन भंडारी ने कहा कि छात्र संगठन विगत लंबे समय से यूकेएसएसएससी परीक्षा लीक, विधानसभा में हुई बैक डोर नियुक्तियों के खिलाफ लगातार आंदोलनरत हैं. सरकार से मांग कर रहे हैं कि यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की जाए. उन्होंने कहा कि इसके अलावा विधानसभा में जितनी भी बैक डोर से नियुक्तियां हुई हैं. उन नियुक्तियों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. मोहन भंडारी का कहना है कि हाईकोर्ट द्वारा महिलाओं के 30% आरक्षण पर रोक लगाई गई है.
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ऐसे में सरकार जल्द से जल्द अध्यादेश लेकर आए जिससे महिलाओं को 30% आरक्षण का लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि प्रदेश में भू माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए सशक्त भू कानून की मांग लगातार उठ रही है. लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. छात्र संगठन का कहना है कि यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में अभी तक जो भी लोग पकड़े गए हैं, वह आम कर्मचारी और नेता हैं, लेकिन सवाल उठता है कि इन लोगों की यूकेएसएसएससी परीक्षा में आखिर सेटिंग कैसे हो गई. कहीं ना कहीं इस मामले में बड़े अधिकारियों और बड़े नेताओं की संलिप्तता भी संदेह के घेरे में है. इसलिए सरकार सीबीआई जांच कराने से बच रही है. सभी छात्र चाहते हैं कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश की निगरानी में इसकी जांच की जाए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.