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गैरसैंण में नवजात और प्रसूता की मौत पर NSUI में आक्रोश , फूंका CM का पुतला

गैरसैंण के हेल्थ सेंटर में गर्भवती महिला मौत के मामले में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने सीएम का पुतला फूंका. प्रदर्शन के बाद एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को एक ज्ञापन भी भेजा.

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गैरसैंण में नवजात और प्रसूता की मौत पर गुस्से में NSUI

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Published : Aug 22, 2020, 4:47 PM IST

देहरादून: गैरसैंण के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसे लेकर आज नाराज एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने एश्ले हॉल चौक पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का पुतला फूंका. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने सरकार को बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं का जिम्मेदार बताते हुए जमकर नारेबाजी की.

राज्य में बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्थाओं से नाराज एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों की लापरवाही के चलते गैरसैंण के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिला की मौत हुई. एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष सौरभ ममगाई ने कहा कि डॉक्टरों की जांच के बाद महिला स्वस्थ पाई गई थी. अस्पताल में सामान्य डिलीवरी होने की बात परिजनों को भी बताई गई थी.

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मगर 24 घंटे बाद 18 अगस्त को डिलीवरी के दौरान महिला की मौत हो गई. इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने न तो पुलिस को सूचना दी और न ही पोस्टमार्टम कराने के लिए परिवार को कहा. इसके अलावा अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने गर्भ में पल रहे नवजात को बचाने की कोशिश भी नहीं की. ऐसे में यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है. उन्होंने कहा इसके विरोध में आज एनएसयूआई सड़कों पर उतरकर विरोध जता रही है.

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बता दें कि गैरसैंण के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 17 अगस्त को हीरा देवी नाम की गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 18 अगस्त को डिलीवरी के दौरान महिला की मौत हो गई थी. एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने डॉक्टरों की लापरवाही का आरोप लगाते हुए प्रदेश की विकृति स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ सीएम का पुतला दहन करते हुए जमकर आक्रोश व्यक्त किया. प्रदर्शन के बाद एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को एक ज्ञापन भी भेजा.

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एनएसयूआई कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांगें

  • डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ लापरवाही का मुकदमा दर्ज करने और उच्च स्तरीय जांच कराने के आदेश दिए जाएं.
  • महिला के परिजनों को सरकार की तरफ से उचित मुआवजा दिया जाए.
  • प्रदेश के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं को समय पर उपयुक्त इलाज नहीं मिलने के कारण उन्हें अंतिम क्षणों में हायर सेंटर रेफर किया जाता है, जिससे कई बार दुखद घटनाएं घटित हो जाती हैं. ऐसे में ब्लॉक व तहसील स्तर के अस्पतालों में स्थाई सर्जन की व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाए.
  • आपातकालीन स्थिति के लिए हर अस्पताल में कम से कम एक वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए. इसके अलावा अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था की जाए ताकि गर्भवती महिलाओं को दिक्कतों का सामना न करना पड़े.

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