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जन्मदिन विशेष: भारत के जेम्स बॉन्ड अजीत डोभाल, जिनसे कांपता है पाकिस्तान - भारत के जेम्स बॉन्ड अजीत डोभाल

भारत के जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले अजीत डोभाल का आज जन्मदिन है. 20 जनवरी 1945 को पौड़ी में जन्मे अजीत डोभाल ने आज अपने जीवन के 75 साल पूरे कर 76वें वर्ष में प्रवेश किया है. उनकी रणनीतिक महारत के कारण उन्हें 'हर मर्ज की दवा' कहा जाता है. 2014 में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया. अजीत डोभाल को ईटीवी भारत की ओर से जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं.

ajit doval Birthday
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल

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Published : Jan 20, 2021, 4:00 AM IST

Updated : Feb 2, 2021, 3:25 PM IST

देहरादून: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का आज 76वां जन्मदिन है. भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के पूर्व निदेशक रहे अजीत डोभाल इस समय देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं और वे पांचवें एनएसए हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी उन्हें यह जिम्मेदारी मिली हुई थी. शांतिकाल के सर्वोच्च सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित डोभाल पहले पुलिस अधिकारी हैं, जो पूर्वोत्तर, पंजाब, पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर में कई आतंकरोधी ऑपरेशन में शामिल रहे. इसलिए अजीत डोभाल को भारत का जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है.

उनकी रणनीतिक महारत के कारण उन्हें 'हर मर्ज की दवा' कहा जाता है. मोदी सरकार की हर मुश्किल को अजीत डोभाल चुटकियों में हल कर देते हैं. उनके नाम का डंका दुनिया भर में बजता है. जैसा कि उनके नाम अजीत यानी जिसे जीता न जा सकें से परिभाषित होता है, ठीक वैसे ही डोभाल ने कभी हार मानना नहीं सीखा.

क्यों कहते हैं जेम्स बॉन्ड

अजीत डोभाल पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में सात साल तक काम कर चुके हैं. शुरूआती दिनों में वह अंडरकवर एजेंट थे. सात साल तक वो पाकिस्तान में सक्रिय रहे. वो पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक मुस्लिम की तरह रहे. इस दौरान उन्होंने कई स्थानीय लोगों से दोस्ती भी कर ली थी. हालांकि एक बार एक मस्जिद में उन्हें एक शख्स ने पहचान लिया था. खुद डोभाल ने कई मौकों पर यह बताया कि कैसे पाकिस्तान में उन्हें एक व्यक्ति ने पहचान लिया था.

दरअसल हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार सभी बच्चों का कर्ण छेदन किया जाता है. इसी वजह से डोभाल के कान में छेद था और मस्जिद में एक फकीर जैसे दिखने वाले शख्स ने यह जान लिया था कि वो हिंदू हैं.

बालाकोट एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक

डोभाल पीएम मोदी के सबसे भरोसमंद नौकरशाह माने जाते हैं. अगर बीते 5 साल में भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में एयरस्ट्राइक की तो इसका श्रेय अजीत डोभाल को भी जाता है.

पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाले इस शख्स के नेतृत्व में ही भारत ने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाई. इतना ही नहीं बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद विंग कमांडर अभिनंदन की पाकिस्तान से रिहाई में भी अजीत डोभाल ने अहम भूमिका निभाई थी.

ऑपरेशन ब्लू स्टार

पंजाब में आतंकवाद के दौरान ऑपरेशन के ठीक पहले अजीत डोभाल एक रिक्शेवाले का हुलिया बनाकर स्वर्ण मंदिर में अंदर दाखिल हो गए थे. वहां जाकर उन्होंने काफी जानकारियां एकत्रित की थी. यह भी पता लगाया था कि स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकियों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां आईएसआई का सहयोग मिल रहा था.

भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई थी. उन्होंने भारतीय सुरक्षा बलों के लिए ऐसी महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जो उनके बहुत काम की थी, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका. इस दौरान वो पाकिस्तानी जासूस बनकर खालिस्तानियों के करीब आए. उनका विश्वास जीता. इसके बाद खालिस्तानियों की तैयारियों की सारी जानकारी उन्हें पता लगने लगी, जिसे उन्होंने भारतीय एजेंसियों तक भेजा.

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अजीत डोभाल का जीवन परिचय

  • उनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी, 1945 को हुआ था. उनके पिता भारतीय सेना में थे.
  • उनकी प्रारंभिक पढ़ाई अजमेर के सेना स्कूल से हुई थी और बाद मे उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की थी.
  • वे 1968 बैच के केरल कॉडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं.
  • अजीत डोभाल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो के साथ जुड़ गए थे. करीब सात साल वे पाकिस्तान में खुफिया जासूस के तौर पर रहे.
  • पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी.
  • जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच उन्होंने काम किया और बहुत सारे आतंकियों को सरेंडर कराया था.
  • साल 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया और जिम्मेदारी सौंपी.
  • अजीत डोभाल को सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है और यह सम्मान पाने वाले वह पहले पुलिस अधिकारी बने.

किन चर्चाओं में रहे है अजित डोभाल

जून 2010: अजीत डोभाल के दिशा निर्देश में भारतीय सेना ने पहली बार सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया. ऑपरेशन में करीब 30 उग्रवादी मारे गए.

जून 2014: डोभाल ने आईएसआईएस के कब्जे से 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नर्सें आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट के नियंत्रण वाले इराकी शहर तिकरित के एक अस्पताल में फंस गई थीं.

1999 कंधार हाईजैक: कंधार में इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 के अपहर्ताओं के साथ भारत के मुख्य वार्ताकार अजीत डोभाल ही थे. डोभाल तब IB में स्पेशल डायरेक्टर हुआ करते थे. लेकिन डोवल के पास कश्मीर में काउंटर आतंकवाद से लड़ने का तजुर्बा था, लिहाजा सरकार ने उन्हें खासतौर पर बंधकों को छुड़ाने की जिम्मेदारी सौंपी.

डोभाल मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में चल रहे उग्रवाद विरोधी अभियान में सक्रिय रूप से शामिल थे. 1968 में पूर्वोत्तर में उग्रवादियों के खिलाफ खुफिया अभियान चलाने के दौरान लालडेंगा उग्रवादी समूह के 6 कमांडरों को उन्होंने भारत के पक्ष में कर लिया था.

अजीत डोभाल को मिला कीर्ति चक्र

सेना में कीर्ति चक्र बहुत बड़ा पुरस्कार माना जाता है, जो सेना के बाहर के लोगों को नहीं मिलता है. मगर अजीत डोभाल अकेले पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है.

महज सात साल की नौकरी के बाद ही पुलिस मेडल

सामान्यता भारतीय पुलिस में 14-15 साल की नौकरी के बाद ही पुलिस मेडल मिलता है. मगर डोभाल को मिजोरम में सात साल की नौकरी के बाद ही पुलिस मेडल मिला था.

अनुच्छेद 370, जम्मू कश्मीर और डोभाल

अजीत डोभाल के बारे में कहा जाता है कि जहां दुनिया सोचना बंद कर देती है वहां भारत का जेम्स बॉन्ड सोचना शुरू करता है. जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शोपियां में लोगों से मुलाकात करते और साथ खाना खाते हुए, सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते नजर आए.

व्हाइट हाउस का किस्सा

यह किस्सा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात का है. दोनों आमने-सामने बैठे थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डोनाल्ड ट्रंप का भाषण सुन रहे थे. ट्रंप के बाद पीएम मोदी को बोलना था.

जैसे ही प्रधानमंत्री बोलने के लिए उठे तो उनके भाषण की कॉपी बिखर गई. सभागार की अग्रिम पंक्ति में अन्य अधिकारियों के साथ बैठे अजीत डोभाल ने तुरंत उन कागजों को उठाया और समेटकर प्रधानमंत्री के सामने रख दिया.

क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाने में निभाई भूमिका

अगस्ता वेस्टलैंड के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल के भारत वापस लाने और पाकिस्तान और म्यांमार की सीमाओं पर सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी करने से लेकर अजीत डोभाल सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किए जाने वाले लगभग हर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशन में शामिल रहे.

जब राफेल मामले पर स्पष्टता के साथ सरकार अपने विचारों को रखने में सक्षम नहीं थी तो डोभाल को हस्तक्षेप करना पड़ा. उन्होंने इस मुद्दे पर भारतीय वायुसेना और रक्षा मंत्रालय में नौकरशाही के साथ निकटता से समन्वय किया. मिशेल के प्रत्यर्पण में डोभाल ने सरकार के साथ अपने करीबी संबंधों का इस्तेमाल किया और मिशेल का प्रत्यर्पण कराया.

Last Updated : Feb 2, 2021, 3:25 PM IST

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