देहरादून:उत्तराखंड में साइबर क्राइम के मामले दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं. वर्तमान समय में साइबर क्राइम से जुड़े तमाम मामले सामने आ रहे हैं. वहीं भविष्य में होने वाले साइबर क्राइम भी एक बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं. इसकी मुख्य वजह यह है कि अमूमन क्राइम धीरे-धीरे डिजिटल होते जा रहे हैं, या फिर यूं कहें कि अब क्राइम करने वाले अपराधी भी हाईटेक हो गए हैं. इससे वह किसी भी घटना को अंजाम देने के लिए डिजिटल तरीकों का प्रयोग करने लगे हैं. साइबर क्राइम की दुनिया में आने वाले दिनों में एक ऐसी क्रांति आने वाली है, जिससे निपटना एक बड़ी चुनौती बन सकती है. लगभग सभी क्राइम डिजिटल होने कि क्या है वास्तविकता, भविष्य में साइबर क्राइम क्या वास्तव में बढ़ा सकती है सबकी समस्याएं? देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.
बता दें कि, 15 अगस्त 1995 में देश में पहली बार इंटरनेट का इस्तेमाल हुआ था. उस दौरान कुछ जगहों पर ही इंटरनेट की सुविधा देखने को मिल रही थी. लेकिन धीरे-धीरे जैसे इंटरनेट का विस्तार होता गया, उसके बाद से ही यह इंटरनेट देश में लाखों लोगों के लिए एक रोजगार का साधन बन गया. उस दौरान इंटरनेट का इस्तेमाल मात्र कंप्यूटर पर ही कर सकते थे. उस समय साइबर क्राइम के मामले न के बराबर ही सुनाई देते थे. हालांकि, विदेशों से साइबर क्राइम के मामले इक्का-दुक्का जरूर सुनाई देते थे.
अपराध का भी डिजिटलाइजेशन. साइबर क्राइम क्या है उस दौरान लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं थी. और न ही लोगों को यह पता था कि आने वाले समय में इंटरनेट का जाल लोगों के लिए जितना फायदेमंद होगा उतना ही नुकसानदायक भी साबित होगा. यूं तो, साल 2000 के बाद आधुनिकीरण का एक ऐसा दौर शुरू हुआ जिससे तमाम चीजें धीरे-धीरे ऑनलाइन होती चली गईं. हालांकि, इस आधुनिकीरण के चलते लोगों को काफी सहूलियत भी हुई. लेकिन जैसे-जैसे इसका प्रचलन तेजी से बढ़ने लगा उसी अनुसार साइबर क्राइम के मामले भी तेजी से बढ़ने लगे.
साइबर सेल को मिल रही शिकायत. स्मार्टफोन आने के बाद शुरू हुई साइबर क्राइम की दस्तक
भारत में इंटरनेट की दस्तक 15 अगस्त 1995 में हुई थी. वहीं साल 1993 में मोबाइल फोन ने भारत में दस्तक दे दी थी. हालांकि, उस दौरान नार्मल फोन होते थे. उनसे सिर्फ कॉल करके या फिर मैसेज के जरिए बात कर सकते थे. लेकिन साल 2000 के बाद स्मार्टफोन आने शुरू हो गए. इसके साथ ही साल 2010 के बाद तमाम तरह के सोशल एप्लीकेशन आने शुरू हो गए, जो सोशल साइट के लिए एक बड़ी क्रांति साबित हुई. इन सोशल ऐप की वजह से लोगों की गोपनीयता भी धीरे-धीरे भंग होनी शुरू हो गई. इसके बाद साइबर क्राइम के मामले भी तेजी से बढ़ने लगे. मौजूदा हालात यह है कि ठग अब पहले से ज्यादा हाईटेक होकर, लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. इंटरनेट की शुरुआत में लोग पहले सिर्फ कंप्यूटर के जरिए इंटरनेट से जुड़ पाते थे, लेकिन आज मोबाइल फोन के जरिये इंटरनेट लोगों की पॉकेट में पहुंच चुका है.
साइबर क्राइम से बचने के लिए खुद जागरुक बने.
साइबर क्राइम एक बड़ी चुनौती बन रहा है
वर्तमान समय में साइबर अपराध तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. इसी के जरिए अधिकांश अपराध को अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है. कुछ अपराध को छोड़कर लगभग सभी अपराधी अब साइबर प्लेटफॉर्म के जरिए किए जा रहे हैं. मुख्य रूप से देखें तो साइबर अपराध के जरिए लोगों की प्राइवेसी खत्म कर ब्लैकमेल करना, लोगों के खाते से ठगी करना, सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए ब्लैकमेल करने के साथ ही हत्या जैसे बड़े अपराध की भी सुपारी दी जा रही है. यानी कुल मिलाकर देखें तो आने वाले समय में कुछ फिजिकल क्राइम को छोड़कर लगभग सभी क्राइम डिजिटल होते जा रहे हैं. जो पुलिस प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है.
कोरोना काल के दौरान डिजिटल जगत में आयी एक और बड़ी क्रांतिसाइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के सीईओ अंकुश मिश्रा ने बताया कि साल 2000 के बाद जैसे-जैसे मोबाइल फोन स्मार्ट होते गए वैसे ही सोशल मीडिया की एक बड़ी क्रांति आयी. इसने स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले लगभग सभी लोगों के डिजिटल प्रेजेंस को बढ़ा दिया. डिजिटल क्रांति तो पहले, एक बार आ ही चुकी थी इसके बाद वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर लागू लॉकडाउन के दौरान डिजिटल के जगत में एक और बड़ी क्रांति देखने को मिली. उस दौरान अधिकांश लोग डिजिटल पर आ गए. घरों में समय बिताने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग करने लगे. इसी दौरान साइबर क्रिमिनल भी ज्यादा एक्टिव हो गए क्योंकि अधिकांश लोग मोबाइल फोन पर एक्टिव थे.
साइबर क्राइम से जुड़े दो तरह के सबसे अधिक मामले आ रहे हैं सामनेअंकुश मिश्रा ने बताया कि वर्तमान समय में दो तरह के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं. इनमें साइबर अपराध और साइबर से जुड़े आर्थिक अपराध के मामले हैं. इन दोनों मामलों में क्रिमिनल पैसे बनाने की जुगत में जुटे हुए हैं. ऐसे में देश के सभी नागरिकों को जागरूक होने की जरूरत है. इसमें अगर किसी के साथ साइबर अपराध हो रहा है तो वह उस तरह के साइबर अपराध के प्रति लोगों को जागरूक भी कर सकता है ताकि क्रिमिनल्स का मनोबल टूट सके.