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देश में पहली बार सैनिक स्कूल में पढ़ेंगी बेटियां, प्रसन्ना की चिट्टी ने किया कमाल

अब तक सैनिक स्कूलों में सिर्फ बालकों को भी दाखिला दिया जाता था, लेकिन अब बालिकाओं के लिए भी यहां एडमिशन लेने के लिए रास्ता साफ हो गया है. जो बेटियां सैन्य अधिकारी बन देश की सेवा करने का सपना देखती थीं अब वो भी यहां एडमिशन ले सकेंगी.

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Published : Nov 30, 2019, 10:57 PM IST

Updated : Dec 2, 2019, 4:18 PM IST

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प्रसन्ना की कोशिश लाई रंग

देहरादून: सैनिक स्कूलों में अब छात्राएं भी पढ़ाई कर सकेंगी. देश में ऐसा पहली बार हो रहा है. अब तक सैनिक स्कूल में सिर्फ लड़कों को ही एडमिशन दिया जाता है. ऐसा पहाड़ की बेटी की बदौलत हो रहा है. अल्मोड़ा निवासी प्रसन्ना छिमवाल ने बीती पांच अगस्त को रक्षा मंत्रालय, मानव संसाधन मंत्रालय और उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश को इस बारे में पत्र लिखा था. जिस पर अमल करते हुए वर्षों की यह परंपरा टूट गई है. सैनिक स्कूलों में बालिकाओं का एडमिशन इसी सत्र से शुरू कराया जाएगा. प्रसन्ना के पत्र का संज्ञान लेते हुए रक्षा मंत्रालय ने बीती 25 नवंबर को कुमाऊं के घोड़ाखाल समेत देश के सभी पांच सैनिक स्कूलों में बालिकाओं के लिए 10 प्रतिशत कोटा निर्धारित कर दाखिला करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि अबतक सैनिक स्कूलों में सिर्फ बालकों को ही दाखिला दिया जाता था लेकिन अब बालिकाओं के लिए भी यहां एडमिशन लेने का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि, इस प्रक्रिया में उस वक्त तेजी आई जब उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 9वीं कक्षा में पढ़ने वाली प्रसन्ना छिमवाल ने बीती पांच अगस्त को रक्षा मंत्रालय, मानव संसाधन मंत्रालय और उत्तराखंड मुख्य न्यायाधीश को इस बारे में पत्र लिखा था.

प्रसन्ना की कोशिश लाई रंग.

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इस पत्र के माध्यम से प्रसन्ना ने कहा था कि उत्तराखंड जैसे सैनिक बाहुल्य राज्य में सैनिक स्कूलों में बालिकाओं का एडमिशन इसी नए सत्र से शुरू कराया जाए. प्रसन्ना के पत्र का संज्ञान लेते हुए रक्षा मंत्रालय ने बीती 25 नवंबर को कुमाऊं घोड़ाखाल समेत देश सभी पांच सैनिक स्कूलों में बालिकाओं के लिए 10 प्रतिशत कोटा निर्धारित कर दाखिला करने के आदेश दिए हैं.

छिमवाल ने बताया कि उसका सपना सेना में जाकर देश सेवा करने का है, लेकिन जब पता चला कि लड़की होने की वजह से सैनिक स्कूल में एडमिशन नहीं हो पाएगा. इसके बाद छिमवाल ने भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय को इस बारे में पत्र लिखा. जिसको भारत सरकार ने गंभीरता से लिया और देश के सभी सैनिकों में बालिकाओं के लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का फैसला लिया. वहीं प्रसन्ना छिमवाल ताड़ीखेत अल्मोड़ा की रहने वाली है.

रक्षा मंत्रालय से मिला जवाब.

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सैनिक स्कूल में एडमिशन के पुराने नियम
सैनिक स्कूल में ऑल इंडिया सैनिक स्कूल एंट्रेंस एग्जाम के जरिए कक्षा छह और कक्षा नौ में दाखिला दिया जाता था. अब तक सिर्फ लड़के ही इस परीक्षा में शामिल होकर सैनिक स्कूल में दाखिला पा सकते थे. प्रवेश परीक्षा ओएमआर आधारित होती है, जिसमें छठी कक्षा में लिखित परीक्षा 300 अंकों की और नौवीं कक्षा के लिए 400 अंकों की होती है.

Last Updated : Dec 2, 2019, 4:18 PM IST

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