देहरादून:उत्तराखंड में आधी जनवरी बीतने के बाद भी मौसम का मिजाज समझ नहीं आ रहा है. अभी तक उत्तरखंड में बर्फबारी नहीं हुई है. जिसके कारण प्रदेश के पहाड़ी पर्यटन स्थल मसूरी, नैनीताल, चमोली, चकराता में सन्नाटा पसरा है. बर्फबारी नहीं होने के कारण स्थानीय व्यापारियों को चेहरे भी मुरझाये हुए हैं. मौसम विभाग की भविष्यवाणी और संभावनाएं थोड़ा बहुत पर्यटकों और व्यापारियों की उम्मीदों को संबल दे रही है, मगर अभी भी सभी को इंतजार बर्फबारी का है.
साल 2021 और साल 2022 में भी मौसम कुछ इसी तरह का था. इन सालों में जनवरी महीने के शुरुआती दिनों में ही सभी हिल स्टेशन पर बर्फबारी शुरू हो गई थी. इस बार भी सभी को अंदेशा था कि नैनीताल, मसूरी, और चकराता जैसे हिल स्टेशन पर बर्फबारी होगी. मौसम विभाग ने भी दिसंबर के अंत में बर्फबारी की भविष्यवाणी की थी, मगर हैरानी की बात यह है कि बर्फबारी तो छोड़िए बर्फबारी से पहले होने वाली बारिश भी पहाड़ों से गायब है. जिसके कारण पर्यटक पहाड़ नहीं चढ़ रहे हैं. उत्तराखंड में ऊपरी इलाकों में भले ही बर्फबारी है, लेकिन पर्यटक स्थल इससे अछूते हैं.
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बर्फबारी ना होने से काम पर पड़ा असर: कभी बर्फ़बारी से लकदक रहने वाली औली हो या मिनी स्विट्ज़रलैंड कहे जाने वाला चकराता में इन दिनों बर्फ़बारी का नामो निशान नहीं है. ऐसा लगभग 14 साल बाद है जब जनवरी के इन दिनों तक बर्फ़बारी ना हुई हो. आलम ये है की औली तक में बर्फ़बारी नहीं हुई है. आमतौर पर औली में दिसंबर के शुरुवाती दिनों में ही बर्फ़बारी हो जाती है. बर्फ़बारी ना होने से उत्तराखंड सहित पहाड़ी राज्यों के व्यवसाय पर भी इसका बड़ा असर पड़ रहा है. उत्तराखंड के नैनीताल होटल एसोसिएशन नैनीताल के अध्यक्ष दिग्विजय बिष्ट कहते हैं हमने हाल फिलहाल के सालों में ऐसा नहीं देखा है जैसा इस बार हुआ है. अभी तक हल्की बर्फ़बारी भी नहीं हुई है. उन्होंने कहा अगर अब भी नैनीताल में बर्फ़बारी नहीं होगी तो यहां का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो जाएगा.