विकासनगर:जौनसार-बावर की लाइफ लाइन कही जाने वाली कालसी-चकराता मोटर मार्ग पर जजरेड पहाड़ी से भूस्खलन एक बड़ी समस्या बनी हुई है. मॉनसून की दस्तक के साथ ही ये समस्या और विराल हो जाती है, लेकिन अभीतक संबंधित विभाग इस भूस्खलन का कोई स्थायी समाधन नहीं ढूढ पाया है.
उत्तराखंड में मॉनसून हर साल अपने साथ बड़ी परेशानियां लेकर आता है. सबसे ज्यादा समस्या भूस्खलन को लेकर आती है. मॉनसून में लैंडस्लाइन की वजह से उत्तराखंड के अधिकांश पहाड़ी इलाके बंद हो जाते हैं. ऐसा ही कुछ हाल देखने को मिलता है कालसी-चकराता मोटर मार्ग का. यहां पर बारिश जब भी अपना रौद्र रूप दिखाती है तो बड़ी मात्रा में भूस्खलन होता है, जिस कारण मार्ग कई-कई घंटे बंद रहता है.
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भूस्खलन की वजह से यहां पर कई हादसे भी होते रहते हैं. बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से जजरेड पहाड़ी के भूस्खलन का कोई स्थाई समाधान नहीं हो पाया. राहगीर अश्विनी कुमार का कहना है कि जजरेड पहाड़ी से बरसात के दिनों मे भारी मलबा व पत्थर गिरते हैं. कई बार वाहन चालक भी चोटिल हो चुके हैं. इस स्थान पर भूस्खलन का स्थायी समाधान होना चाहिए.
वहीं, इस बारे में लोक निर्माण विभाग साहिया के अधिशासी अभियंता प्रत्यूष कुमार का कहना है कि इन दिनों मॉनसून के देखते हुए विभाग तैयारी में जुटा हुआ है. जजरेड पर दोनों और मशीनें रखी जाएगी. वैकल्पिक व्यवस्था पर कालसी व साहिया में एक-एक जेसीबी मशीनें रखी गई हैं.
साथ ही उन्होंने बताया कि जजरेड पर 297 मीटर का पुल स्वीकृत है, इसके संबंध मे मिट्टी का परीक्षण भी किया है. डिजाइन की प्रक्रिया गतिमान है, टेक्निकल पहलू पर परीक्षण कन्सल्टेंट द्वारा किया जा रहा है. जल्द से जल्द डिजाइन गठित कर उच्चाधिकारियों को प्रेषित करेंगे.