देहरादूनः गुरुवार 4 मार्च को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में त्रिवेंद्र सरकार पांचवां और इस कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करेगी. जहां एक तरफ केंद्रीय बजट में डिजिटल इंडिया को लेकर ढेरों दावे किए गए तो वहीं उत्तराखंड का बजट सत्र जहां आयोजित हो रहा है वहां पर नेटवर्क कनेक्टिविटी तक नहीं है.
उत्तराखंड जैसी विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्य में सूचना तंत्र शुरू से ही एक जटिल विषय रहा है. उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते यहां पर नेटवर्क कनेक्टिविटी को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. हालांकि केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए डिजिटल इंडिया अभियान के तहत दावा किया गया था कि देश के कोने-कोने तक सूचना तंत्र को मजबूत किया जाएगा, लेकिन मौजूदा हालात कुछ इस तरह से हैं कि जहां पर उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र आयोजित हो रहा है, वहां पर नेटवर्क कनेक्टिविटी ही नहीं है. जिस वजह से बजट सत्र की मीडिया कवरेज और सूचना तंत्र को लेकर पूरे राज्य को केवल सरकारी व्यवस्थाओं पर आश्रित रहना पड़ रहा है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि डिजिटल इंडिया तो दूर की बात है, यहां तो जानबूझकर सूचनाओं को दबाने के लिए इस तरह की कार्यशैली अपनाई जा रही है. हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि बजट सत्र चल रहा है, लेकिन पूरे प्रदेश को यह जानकारी तक नहीं है कि बजट सत्र में हो क्या रहा है? हीरा सिंह बिष्ट कहते हैं कि आज पहाड़ पर लोगों का जीवन बिना सूचना के पिछड़ रहा है. लेकिन सरकार शहरी इलाकों में अपना सूचना तंत्र मजबूत करके पीठ थपथपा रही है.