देहरादूनः नीति आयोग की ओर से साल 2020- 21 के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (SDG) रिपोर्ट जारी की गई है. जिसके तहत जहां शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में उत्तराखंड ने चौथा स्थान हासिल किया है. वहीं, लैंगिक समानता के मामले में उत्तराखंड फिसड्डी साबित हुआ है. इतना ही नहीं लैंगिक समानता के मामले में उत्तराखंड और निचले पायदान पर आया है. इस बार प्रदेश का 13वां स्थान आया है. जबकि, 2019 की एसडीजी रिपोर्ट में उत्तराखंड ने 11वां स्थान हासिल किया था.
दरअसल, एसडीजीरिपोर्ट के तहत लिंगानुपात के मामले में भी उत्तराखंड की स्थिति कुछ खास उभरकर सामने नहीं आई है. हालांकि, प्रदेश सरकार लगातार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देती आई है, लेकिन इसके बावजूद हकीकत यह है कि उत्तराखंड राज्य में 1000 बालकों की तुलना में महज 840 बालिकाएं ही हैं. जबकि लिंगानुपात के मामले में राष्ट्रीय औसत 899 का है. इस तरह उत्तराखंड राज्य लिंगानुपात के राष्ट्रीय औसत के आसपास भी नहीं है.
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लिंगानुपात के मामले में हरियाणा और पंजाब में हुआ सुधार
सबसे बड़ी गौर करने वाली बात ये है कि नीति आयोग की एसडीजी रिपोर्ट के अनुसार लिंगानुपात के मामले में हरियाणा और पंजाब ने काफी अच्छा सुधार किया है. इस तरह यह दोनों राज्य भी उत्तराखंड की तुलना में लिंग अनुपात के मामले में बेहतर स्थिति में नजर आ रहे हैं. जहां हरियाणा में एक हजार बालकों पर 843 बालिकाएं हैं. वहीं, पंजाब में भी 1000 बालकों पर 890 बालिकाएं हैं.