देहरादूनः मसूरी में चल रहे हिमालयी राज्यों के कॉन्क्लेव के दौरान पलायन एक बड़ा मुद्दा रहा. इस दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पलायन को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर राज्यों की चिंता को बल दिया. उत्तराखंड समेत तमाम हिमालयी राज्य पलायन को लेकर कॉन्क्लेव के दौरान खासे चिंतित दिखाई दिए.
इस दौरान पलायन को रोके जाने के लिए एक सार्थक पहल की जरुरत भी महसूस की गई. खासतौर पर बॉर्डर क्षेत्रों से हो रहे पलायन को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए इसके लिए विशेष पहल किए जाने पर जोर दिया गया. खास बात यह है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस समस्या का प्राथमिकता के साथ हल किए जाने को जरूरी बताया.
आपको बता दें कि उत्तराखंड समेत तमाम हिमालयी राज्य पलायन के गहरे संकट से गुजर रहे हैं. उत्तराखंड की बात करें तो प्रदेश के कई गांव अब पूरी तरह से खाली हो चुके हैं. पलायन आयोग की रिपोर्ट यह साफ कर चुकी है कि प्रदेश में करीब तीन लाख से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं.
पलायन रोकने को केंद्र से विशेष सहायता की दरकार
हिमालयी राज्यों में पलायन को रोकने के लिए केंद्र की विशेष सहायता की जरुरत है. कॉन्क्लेव के दौरान इन जरुरतों पर भी एक लंबी चर्चा की गई. हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्री के माइग्रेशन पर चिंता जाहिर करने के बाद यह उम्मीद जगी है कि हिमालयी राज्यों को पलायन के लिए केंद्र से विशेष तवज्जो मिलने जा रही है.
दरअसल भारत-चीन सीमा से जुड़ी करीब 3,488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा इन्हीं राज्यों से होकर गुजरती है. जिसमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश राज्य शामिल हैं. ऐसे में बॉर्डर क्षेत्रों में हो रहे पलायन से सीमाओं पर भी खतरा बढ़ गया है. ऐसे में हिमालयी राज्य पलायन को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए इस पर केंद्र का विशेष ध्यान चाहते हैं.