ऋषिकेश: प्रदेशभर के प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में बदलाव की मांग के चलते अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. पांच सूत्रीय मांगों को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सरकार को ज्ञापन सौंपा है.
चिकित्सकों का कहना है कि सीईए (क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट) में बदलाव को लेकर दिसंबर में सरकार से वार्ता भी की गई थी. लेकिन सरकार ने अबतक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है. डॉक्टर नरेंद्र रतूड़ी ने बताया कि एक्ट के तहत सरकार ने रुद्रपुर में दो चिकित्सालय को सीज कर दिया. लेकिन उनकी मांगों पर गौर नहीं किया.
अनिश्चिकालीन हड़ताल पर निजी अस्पतालों के डॉक्टर सीईए (क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट) का विरोध कर रहे डॉक्टरों को कहना है कि एक्ट में कठिन नियम हैं. इससे लालफीताशाही हावी हो जाएगी. उत्तराखंड में इन नियमों का पालन करना संभव नहीं है. इसलिए एक्ट में संशोधन होना चाहिए.
सरकार को मानकों में रियायत देनी होगी. डॉक्टरों का कहना है कि सरकार द्वारा तय मानकों का पालन किया जाए तो इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना होगा. निजी चिकित्सालय में इलाज बेहद महंगा हो जाएगा इसलिए चिकित्सकों की मांग है कि एक्ट में संशोधन किया जाए.
हड़ताल के एलान के बाद ऋषिकेश में डॉक्टर सुबह से आईएमए के बैनर तले विरोध करते रहे. चिकित्सकों का कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर गौर नहीं किया तो हड़ताल की वजह से पहाड़ों से आने वाले रोगी जो अधिकांश निजी चिकित्सालय का ही रुख करते उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
बता दें कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को केंद्र सरकार ने साल 2010 में पारित करते हुए सभी राज्यों को इसे सख्ती से लागू कराने के निर्देश दिए थे. उत्तराखंड में यह एक्ट साल 2013 में विधानसभा में पारित हुआ, लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया गया है. इसकी वजह निजी चिकित्सकों की कुछ प्रावधानों पर आपत्ति है.
गौर हो कि अगस्त में हाई कोर्ट ने राज्य में बगैर लाइसेंस और क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत गैर पंजीकृत सभी अस्पतालों और क्लीनिकों को तत्काल प्रभाव से सील करने का आदेश दिया था.