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REALITY CHECK 1: दून में रैन बसेरों के हालात तो बेहतर लेकिन महिलाओं के लिये जगह नहीं

ईटीवी भारत टीम ने सबसे पहले देहरादून का दिल कहे जाने वाले घंटाघर स्थित रैन बसेरे का रुख किया और यहां रह रहे कुछ लोगों से बात कर इस रैन बसेरे में दी जा रही सुविधाओं का जायजा लिया.

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Published : Dec 27, 2019, 7:54 PM IST

Updated : Dec 28, 2019, 1:44 PM IST

night shelters dehradun
रैन बसेरा

देहरादून: पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड इन दिनों पूरी तरह शीतलहर की चपेट में है. ऐसे में शासन-प्रशासन की ओर से कड़ाके की ठंड को देखते हुए अलाव के साथ ही रैन बसेरों की व्यवस्था की गई है. लेकिन सवाल यही है कि क्या जरूरतमंदों को इन सभी सरकारी व्यवस्थाओं का लाभ मिल पा रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी देहरादून के कुछ रैन बसेरों का दौरा कर ये जानने का प्रयास किया कि आखिर इन रैन बसेरों में रह रहे लोगों को कैसी सुविधाएं मिल पा रही है.

दून में रैन बसेरों के हालात पर REALITY CHECK.

ईटीवी भारत टीम ने सबसे पहले देहरादून का दिल कहे जाने वाले घंटाघर स्थित रैन बसेरे का रुख किया और यहां रह रहे कुछ लोगों से बातकर इस रैन बसेरे में दी जा रही सुविधाओं के बारे में जाना.

दून में रैन बसेरों के हालात.

घंटाघर स्थित रैन बसेरे में साफ-सफाई व्यवस्था काफी हद तक बेहतर नजर आई. यहां रैन बसेरे में अलाव की भी व्यवस्था की गई थी. इस दौरान यहां रह रहे कुछ लोगों से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि सोने के लिए तो उन्हें यहां गद्दा और रजाई मिल जाती है. लेकिन कई बार सुबह के वक्त उन्हें स्नान के लिए गर्म पानी नहीं मिल पाता. जिसकी वजह से कड़ाके की ठंड में उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सुबह के समय लोगों को चाय भी नहीं मिल पाती.

दून में रैन बसेरों के हालात.
दून में रैन बसेरों के हालात.

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बहरहाल, कुल मिलाकर देखा जाए तो घंटाघर स्थित इस रैन बसेरे में व्यवस्थाएं काफी हद तक बेहतर थी. लेकिन एक बात जो हमें काफी खटकी वो ये कि यहां महिलाओं के ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है.

Last Updated : Dec 28, 2019, 1:44 PM IST

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