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उत्तराखंड में आय प्रमाण-पत्र के नए मानक तय, जानें कैसे किया जाएगा कमाई का आकंलन

परिवार के मुखिया की आय और परिवार के अन्य सदस्यों की आय को जोड़ते हुए परिवार की कुल आय के आधार पर आय प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा.

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Published : May 8, 2019, 10:18 AM IST

Updated : May 8, 2019, 10:36 AM IST

देहरादून:पिछले काफी समय से प्रदेश में आय प्रमाण-पत्र के मानक को लेकर आ रही तमाम समस्याओं का निस्तारण राजस्व विभाग ने कर दिया है. राजस्व विभाग ने आय प्रमाण पत्र के नए मानक तय कर दिए है. कुमाऊं और गढ़वाल कमिश्नर के माध्यय सभी जिलों को इसकी जानकारी दे दी गई है.

परिवार का मानक
परिवार की आय का आंकलन करने के लिए पति-पत्नी, संतान (विवाहित व अविवाहित वयस्क) और आश्रित माता-पिता को सम्मिलित किया जाएगा. आश्रित का मतलब परिवार के उन सदस्यों से है जिनकी स्वयं की कोई आए न हो और जो परिवार के साथ रहते हों. आय का आंकलन करने के लिए परिवार के समस्त स्रोतों से कुल आय को संज्ञान में लिया जाएगा. परिवार के मुखिया की आय और परिवार के अन्य सदस्यों की आय को जोड़ते हुए परिवार की कुल आय के आधार पर आय प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा.

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आय का आंकलन
असंगठित क्षेत्र के मजदूर होने की दशा में आय की गणना उक्त व्यक्ति के पूरे वर्ष भर 100 दिन कार्य और मजदूरी की दरों का निर्धारण महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत उत्तराखंड के लिए न्यूनतम मजदूरी की दर 182 रुपए प्रतिदिन या राज्य सरकार की ओर से निर्धारित की गई दर से सौ दिन की वार्षिक मजदूरी आंकी जाएगी. इसका मतलब यह है कि किसी असंगठित क्षेत्र के मजदूर द्वारा वर्ष भर 100 दिन कार्य किया गया, उसकी मजदूरी का निर्धारण महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना अथवा राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित न्यूनतम मजदूरी निर्धारित दरों पर यानी वर्तमान में ₹182 हो तो उसकी वार्षिक आय 100x182=18,200 आंकी जाएगी.

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कृषि से आय

  • व्यक्ति के कृषक या किसान होने की दशा में उसके पास उपलब्ध कृषि भूमि प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन में से औसत लागत घटाकर कुल वास्तविक आय के आधार पर आय का आंकलन किया जाएगा. यानि उपलब्ध कृषि भूमि को प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन से गुणा कर और उसमें औसत लागत घटाने के बाद वास्तविक आधार पर आय की गणना होगी.
  • इसके अलावा कृषि भूमि से आय का निर्धारण करते हुए समस्त जिला अधिकारी अपने जनपद की कृषि भूमि के सिंचित, असिंचित, एक फसली, दो फसली और बहू फसली के आधार पर औसत उत्पादन से औसत लागत को घटाते हुए मानकीकृत करेंगे. मानकीकरण का यह कार्य जिला अधिकारी द्वारा प्रति 2 वर्ष में एक बार अवश्य किया जाएगा.
  • इसके अतिरिक्त यदि व्यक्ति सरकारी अर्ध सरकारी या प्राइवेट नौकरी कर रहा है तो सेवायोजन से प्राप्त हुए वार्षिक आय को सम्मिलित करते हुए आय का आंकलन किया जाएगा.

पेंशन की स्थिति में
यदि व्यक्ति की आय का स्रोत पेंशन है तो उस दशा में आय प्रमाण पत्र

  • (क) सेवानिवृत्ति के फल स्वरुप प्राप्त होने वाली पेंशन से वार्षिक आय का आंकलन किया जाएगा.
  • (ख) सामाजिक सुरक्षा योजनाओं जैसे की विधवा, वृद्धा, विकलांग और अन्य प्रकार के पेंशन से प्राप्त वार्षिक आय के आधार पर आय का आंकलन किया जाएगा और परिपक्वता की दशा में उसको प्राप्त होने वाले भरण-पोषण भत्ता के आधार पर. वहीं ऐसा न होने पर उसकी आय का आंकलन अकुशल मजदूर की आय के अनुसार किया जाएगा.

सरकारी या प्राइवेट नौकरी में आय निर्धारण
यदि व्यक्ति या उसके परिवार की आय का स्रोत सरकारी, अर्द्ध सरकारी, निजी संस्थान में नौकरी से है, तो आय का आंकलन प्राप्त होने वाली कुल वार्षिक आय के आधार पर किया जाएगा. इसके प्रमाण स्वरूप आइटीआर, सैलरी स्लिप, सैलरी स्लिप न होने की दशा में नियोक्ता से प्राप्त प्रमाण पत्र के आधार पर किया जाएगा.

निजी व्यवसाय
डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट, चार्टर्ड एकाउंटेंट, मध्यम और बड़े व्यवसाय होने की दशा में उनके द्वारा व्यापार कर विभाग में दाखिल आईटीआर के आधार पर वार्षिक आय का आंकलन किया जाएगा. यदि इन में से कोई आयकर दाता नहीं है तो ऐसी स्थिति में उसके द्वारा स्वघोषित प्रमाण पत्र में दर्शाई गई आय के आधार पर सक्षम स्तर से परीक्षणोपरांत कुल वार्षिक आय का आंकलन किया जाएगा. निजी व्यवसाय में भवन या दुकान किराए से अर्जित वार्षिक आय एनुअल रेंटल वैल्यू का आंकलन भी आए में सम्मिलित किया जाएगा.

Last Updated : May 8, 2019, 10:36 AM IST

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