देहरादून:उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चीन की गतिविधियों को लेकर अक्सर खबरें सामने आती रही हैं लेकिन पिछले कुछ समय में भारत नेपाल सीमा पर भी कुछ ऐसे ही मामले सामने आए हैं, जिसके चलते दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ा है. ताजा मामला उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नेपाल के अतिक्रमण करने से जुड़ा है.
दरअसल, चंपावत में सीमावर्ती क्षेत्र में भारत की 5 हेक्टेयर जमीन पर पिछले 12 सालों से नेपाल कब्जा जमाए हुए हैं. हालांकि, साल 2010 में ही एसएसबी की तरफ से इस मामले को लेकर रिपोर्ट भारत सरकार को भेज दी गई थी, लेकिन इस बार उत्तराखंड वन विभाग ने भी अपनी एक रिपोर्ट प्रदेश सरकार को दी है.
भारत की जमीन पर नेपाल का कब्जा वैसे तो भारत-नेपाल के संबंध हमेशा से काफी मधुर रहे हैं और भारत की तरफ से इन संबंधों को और भी बेहतर करने के प्रयास किए जाते रहे हैं लेकिन इस बीच खबर है कि नेपाल ने न केवल भारत की 5 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण किया है बल्कि यहां पर अस्थाई निर्माण भी करवाया गया है.
खास बात यह है कि इस मामले को लेकर वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण की खबरों के बीच वन महकमा अनजान दिखाई दिया है. वन विभाग के बड़े अफसरों से लेकर स्थानीय अधिकारी भी इस खबर से अनजान दिखे हैं. हालांकि, इस मामले पर अब चर्चाओं में आने के बाद वन विभाग सतर्क हो गया है.
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उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल (Forest Minister Subodh Uniyal) ने कहा है कि यह मामला 2010 का है और इस मामले में एसएसबी ने भारत सरकार को लिखा है. श्रद्धालू पूर्णागिरी में दर्शन करने जाते है और पूर्णागिरी के दर्शन करने के बाद भैरो देवता के दर्शन करने के लिए नेपाल के ब्रह्मदेव जाते हैं. ये जमीन कब्जाने का मामला भी पूर्णागिरी से ब्रह्मदेव का ही है. इस जमीन वाले मामले पर भारत सरकार नेपाल सरकार से बात कर रही है.