देहरादून:उत्तराखंड के ऋषिकेश-हरिद्वार चीला मार्ग पर 8 जनवरी सोमवार को हुए सड़क हादसे को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. शुरुआती जांच में कई लापरवाही का पता चला है. बताया जा रहा है कि गाड़ी में 8 सवारी ही बैठ सकती हैं. लेकिन हादसे के दौरान 10 लोग गाड़ी में बैठे हुए थे. इसके अलावा हादसे के दौरान गाड़ी की स्पीड काफी तेज थी. हादसे में लापता वार्डन की तलाश जारी है. चीला नहर का पानी रोका गया है. एसडीआरएफ लगातार तलाश कर रही है. साथ ही चीला रेंज में चलने वाली जिप्सी को भी पूरी तरह से बंद रखा गया है.
चीला रोड पर हादसे में दो रेंजर्स समेत चार लोगों की मौत हुई. टायर फटने से हुआ हादसा: सोमवार सुबह ऋषिकेश-हरिद्वार चीला मार्ग पर वन विभाग के अंतर्गत इलेक्ट्रिक व्हीकल के ट्रायल के दौरान हादसा हुआ. हादसे में दो रेंजर, एक वन कर्मी और एक चालक की मौत हो गई. जबकि एक वार्डन अभी भी लापता है. हादसे में 5 लोग घायल भी हुए हैं. शुरुआती जांच में हादसे का कारण अत्यधिक स्पीड बताई जा रही है. साथ ही पुष्टि हुई है कि हादसा टायर फटने की वजह से हुआ है. हादसे के भयावह रूप लेने का कारण ये भी है कि जिस जगह हादसा हुआ वहां रोड की चौड़ाई करीब 15 से 20 फीट है. रोड के एक तरफ लंबे-लंबे पेड़ हैं और दूसरी तरफ गहरी नहर है. ऐसे में तेज स्पीड वाहन का टायर फटा और पेड़ से टकराने के बाद गाड़ी पलट गई. हादसे में चीला रेंज की वार्डन आलोकी देवी नदी में जा गिरी जो अभी तक लापता है. जबकि 4 लोगों की मौत हो गई.
अधिकारी मान रहे लापरवाही: राजा जी नेशनल पार्क चीला के निदेशक साकेत बडोला का कहना है कि यह बात सही है कि गाड़ी की क्षमता मात्र आठ लोगों की थी. लेकिन हादसे के दौरान गाड़ी में 10 लोग सवार क्यों थे ? इसकी जांच की जा रही है. गाड़ी का टायर अत्यधिक स्पीड होने के कारण फटा है या कोई अन्य कारण रहा, इसकी भी जांच जारी है. लेकिन ईटीवी भारत को मिले सूत्र बताते हैं कि वन विभाग के बड़े अधिकारियों ने लापरवाही पर कुछ अधिकारियों पर एक्शन लेने की तैयारी कर ली है.
लापता वार्डन आलोकी देवी की नहर में खोजबीन जारी. प्रत्यक्षदर्शी की जुबानी:घटना के दौरान मौजूद प्रत्यक्षदर्शी डिप्टी रेंजर रमेश कोठियाल ने बताया कि मैं गाड़ी से आगे था. जिस वक्त ये हादसा हुआ उस वक्त एक तेज धमाके की आवाज आई और मैंने देखा कि गाडी पेड़ से टकरा गई है. मैं तुरंत पास पहुंचा तो कुछ लोग रोड के दूसरे साइड खड्डे में कुछ सड़क पर खून से लथपथ और कुछ नहर की तरफ गिरे हुए थे. गाड़ी ऊपर से खुली हुई थी. गाड़ी की स्पीड कितनी रही होगी इसकी जानकारी नहीं है.
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पीसीएस की तैयारी कर रहे थे शैलेश: हादसे में जान गंवाने वाले रेंजर शैलेश घिल्डियाल, पीएमओ में उपसचिव मंगेश घिल्डियाल के भाई हैं. मंगेश घिल्डियाल उत्तराखंड में भी कई जगहों पर डीएम रह चुके हैं. बताया जा रहा है कि शैलेश प्रोविंशियल सिविल सर्विस (पीसीएस) की तैयारी कर रहे थे. वे अपना पीसीएस मेंस के रिजल्ट का इंतजार कर रहे थे. जो कि 15 से 20 दिन के भीतर आने वाला है.
नहर में पहले भी कई हादसे हो चुके हैं. हादसों के इतिहास में दर्ज है चीला रोड: चीला रोड पर पहले भी कई हादसे हुए हैं. हाल ही में चीला नहर तब चर्चाओं में आयी जब अंकिता भंडारी का शव नहर से बरामद हुआ था. साल 2022 में ऋषिकेश भरत मंदिर निवासी सुशील बंसल भी अपने पुत्र साथ नदी में गिर गए थे. लगभग 10 दिन बाद दोनों का शव बरामद हुए थे. ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा साल 2013 में हुआ था. नहर में पति-पत्नी और तीन बच्चे गिर गए थे. घटना के 5 दिन बाद सभी से शव बरामद हुए थे. हालांकि चीला नहर से हर महीने एसडीआरएफ एक से दो शव बरामद करती है.
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मृतकों और घायलों का विवरण: हादसे में मारे गए शैलेश घिल्डियाल (रेंज अधिकारी), प्रमोद ध्यानी (उप वन क्षेत्राधिकार), सैफ अली खान पुत्र खलील उल (वन कर्मचारी) और कुलराज सिंह (अक्षा ग्रुप दिल्ली) के शवों का पंचनामा भर पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है. आलोकी देवी (वार्डन राजा जी नेशनल पार्क चीला) लापता हैं. जबकि हिमांशु गुसाईं पुत्र गोविंद सिंह (वन विभाग), राकेश नौटियाल (वन विभाग), अंकुश (अक्षा ग्रुप दिल्ली, अमित सेमवाल (वन कर्मचारी), अश्विनी पुत्र बीजू पट्टी हादसे में घायल हुए हैं.