उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

NDMA ने मुख्य सचिव को सौंपी चमोली आपदा की रिपोर्ट, नदियों में निर्माण पर जताई चिंता

चमोली आपदा की रिपोर्ट एनडीएमए (National Disaster Management Authority) ने मुख्य सचिव ओमप्रकाश को सौंप दी है.

NDMA ने मुख्य सचिव को सौंपी चमोली आपदा की रिपोर्ट
NDMA ने मुख्य सचिव को सौंपी चमोली आपदा की रिपोर्ट

By

Published : Jun 28, 2021, 8:24 PM IST

Updated : Jun 29, 2021, 12:57 PM IST

देहरादून: चमोली जिले में 7 फरवरी 2021 को आई भीषण त्रासदी को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने मिलकर एक जांच टीम गठित की थी. एनडीएमए (National Disaster Management Authority) ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्य सचिव ओमप्रकाश(Chief Secretary Omprakash) को सौंप दी है. इस रिपोर्ट में त्रासदी से जुड़ी बारीक जानकारियों के साथ गहन अध्ययन शामिल है, जिस पर अमल किया जाना बेहद जरूरी है.

प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश (Chief Secretary Omprakash) ने इस रिपोर्ट को एनडीएमए द्वारा सौंपे जाने की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि यह बेहद विस्तृत रिपोर्ट है. इसमें कई तरह की बारीकियों का जिक्र है जिन पर अमल किया जाना बेहद जरूरी है. वहीं स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट (State Disaster Management) अथॉरिटी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला ने बताया कि पहले इस जांच की जिम्मेदारी उनको सौंपी गई थी, वह जांचकेंद्रीय एजेंसी(central agency) द्वारा की गई है, जिसमें पीयूष रौतेला भी शामिल थे.

NDMA ने मुख्य सचिव को सौंपी चमोली आपदा की रिपोर्ट

पढ़ें-चमोली आपदा के बाद प्रदेश में पर्यटन के बदलेंगे हालात, आपदा पर भारी पड़ेगी 'आस्था'?

डॉ पीयूष रौतेला(Dr Piyush Rautela) ने बताया कि जांच के दौरान उनके द्वारा कई बार घटनास्थल का दौरा किया गया और बारीकियों से यह जानकारी मिली है कि धौलीगंगा(Dhauliganga River)में इस तरह की घटना कोई नई घटना नहीं है. यहां अक्सर ग्लेशियर से निकलने वाली नदियों में इस तरह की घटनाएं पहले भी हुई हैं.

पढ़ें-आपदा के मारों को सोनू सूद का सहारा, पिता को खोने वाली चार बेटियों को लिया गोद

पीयूष रौतेला ने बताया कि धौलीगंगा सहित ग्लेशियरों से निकलने वाली इस तरह की नदियों में होने वाले निर्माण से पहले एहतियात बरतने की जरूरत है. यह उनके द्वारा जांच में पाया गया है. साथ ही नदियों में होने वाले निर्माण से पहले सभी मानकों और सभी सावधानियों को ध्यान में रखते हुए इस तरह के निर्माण की अनुमति दी जानी चाहिए. इस तरह की घटनाओं के मद्देनजर ही कोई भी प्रोजेक्ट नदियों में लगाया जाना चाहिए.

पढ़ें-जोशीमठ जल प्रलय में मां के एक फोन कॉल से बचीं थी 25 जिंदगियां, सपा देगी पांच लाख

बता दें 7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन में भारी त्रासदी के चलते एनटीपीसी(National Thermal Power Corporation)के पावर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे तकरीबन और 200 कर्मचारियों को जान से हाथ गंवाना पड़ा था. इसके अलावा भी इस आपदा में बहुत सा नुकसान हुआ. आपदा के बाद कारणों का पता लगाने के लिए कई तरह की शोध संस्थाएं लगाई गईं. चमोली में 7 फरवरी 2021 को आई आपदा के कारणों का पता लगाना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि यह आपदा किसी खराब मौसम में नहीं बल्कि एक सामान्य मौसम में अचानक से आई थी.

पढ़ें-आपदा पर भारी पड़ेगी 'आस्था'?

आपदा के कारणों का पता लगाने के लिए पहले राज्य सरकार ने उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के तहत नौ अलग-अलग शोध संस्थाओं के सदस्यों के साथ एक टीम गठित की. जिसके बाद आपदा का स्वरूप को देखते हुए इस जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय आपदा प्रबंधन ने अपने हाथ में ले ली. जिसकी रिपोर्ट अब एनडीएमए ने मुख्य सचिव को सौंप दी है.

बता दें कि चमोली आपदा की जांच देहरादून के वाडिया इंस्टिट्यूट और जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया लगातार कर रहा था. दोनों ही संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट में भी यह बात कही है कि नदियों में हो रहे अत्यधिक निर्माण आपदा का कारण बन रहे हैं. इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2021 का सबसे गर्म महीना जनवरी का रहा था. इतना गर्म जनवरी शायद ही कभी रहता होगा. यही कारण रहा कि रोंठ गांव से ऊपर लगातार बर्फ पिघल रही थी. इसी कारण बर्फ का एक बड़ा हिस्सा दलदली झील में गिर गया था, जिसके कारण तेजी से पानी और मलबा नीचे आया जिसने लगभग 72 लोगों की तो जान ली ही साथ ही ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट भी पूरी तरह से तबाह हो गया.

Last Updated : Jun 29, 2021, 12:57 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details