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NCRB-2018 की रिपोर्ट ने प्रदेश सरकार पर खड़े किए सवाल, पिछले साल की तुलना में बढ़े अपराध

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की जारी रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में साल 2017 के मुकाबले अपराधिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हुई है. साथ ही इन आंकड़ों ने प्रदेश सरकार और पुलिस पर सवालिया निशान खडे़ कर दिए हैं.

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NCRB-2018 की रिपोर्ट

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Published : Jan 10, 2020, 1:58 AM IST

Updated : Jan 10, 2020, 9:15 PM IST

देहरादून: नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने उत्तराखंड के साल 2018 का डाटा जारी करके प्रदेश सरकार और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एनसीआरबी की ओर से जारी रिपोर्ट का विश्लेषण करें तो साल 2017 में जघन्य हत्या के 28 मामले दर्ज हुए थे. वहीं, ये आंकड़ा साल 2018 में 61 हो गया. जोकि प्रदेश सरकार और पुलिस कार्रवाई पर बड़े सवाल खड़े करती है.

NCRB-2018 की रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार, 34715 संगीन अपराध जिसमें 14739 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज हैं. वहीं, 19976 स्पेशल और लोकल मामले दर्ज किए गए हैं. यदि हम 2017 के आंकड़ों से तुलना करें तो कुल 28861 अपराध दर्ज हुए थे, वहीं साल 2018 में इसकी संख्या बढ़कर 34,715 हो गई.

NCRB-2018 की रिपोर्ट

हत्या मामलों के आंकड़े
अपराधिक रिपोर्ट के अनुसार, हत्या के मामले में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है. जहां, साल 2017 में हत्या के 181 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं ये आंकड़े बढ़कर 211 हो गए. प्रेम प्रसंग के कारण हुई हत्या के आंकड़े 17 ही हैं. इसके साथ ही आपसी विवाद की वजह से हुई हत्या के 26 मामले साल 2017 में दर्ज किए गए थे. जो साल 2018 में बढ़कर 45 हो गए. एक बात जो कि सुकून वाली है कि दहेज के लिए साल 2017 मे तीन हत्याएं हुई थीं, वहीं, साल 2018 में ये आंकड़ा शून्य रहा.

ये भी पढ़ें:एनसीआरबी की रिपोर्ट : 2018 में हर दिन औसतन 80 हत्याएं और 91 बलात्कार

महिला अपराध पर रिपोर्ट
अगर बात करें महिलाओं के प्रति हुए अपराध की तो मामलों के आंकड़े काफी चौकानें वाले हैं. साल 2017 में 1944 मामले दर्ज हुए थे. वहीं, साल 2018 में ये आंकड़ा बढ़कर 2817 हो गया. इसमें रेप की घटना 561, पति के द्वारा पत्नि पर किए गए हिंसा की संख्या 622 रहीं, जबकि अपहरण के 502 मामले सामने आए.

साइबर क्राइम के आंकड़े
वहीं साइबर क्राइम की बात करें तो 2018 मे ये आंकड़े 171 हो गई. जबकि ये 2017 मे केवल 124 ही थी. बच्चों के प्रति भी अपराध की संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है. 2018 में ये आंकड़ा 1306 है, जबकि 2017 में ये आंकड़ा केवल 829 था.

Last Updated : Jan 10, 2020, 9:15 PM IST

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