देहरादून: राज्यसभा चुनाव के लिए उत्तराखंड भाजपा प्रदेश संगठन ने 5 नाम केंद्रीय नेतृत्व को भेजे थे. जिनमें से हाईकमान ने नरेश बंसल के नाम पर मुहर लगाई है. नरेश बंसल के साथ इस दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पार्टी के केंद्रीय कार्यालय सचिव महेंद्र पांडे, पूर्व सांसद बलराज पासी, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल गोयल का नाम शामिल था.
बता दें प्रदेश में कांग्रेस के कब्जे वाली राज्यसभा सीट पर काबिज राजब्बर का कार्यकाल 25 नवंबर को खत्म हो रहा है. निर्वाचन आयोग ने उनके कार्यकाल से पहले नया सांसद चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अब भाजपा ने दायित्व धारी नरेश बंसल को राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर चुना है..
उत्तराखंड में राज्यसभा की स्थिति
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इस सीट के चुनाव के लिए नौ नवंबर की तिथि तय की गई है. चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद राज्य में चुनावी सरगर्मी थी. जिसे आज भाजपा संसदीय बोर्ड ने खत्म कर दिया है. राज्य की 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या 57 है. ऐसे में भाजपा प्रत्याशी नरेश बंसल की जीत पहले से तय है.
राज्यसभा के पैरासूट प्रत्याशी
पार्टी की पहली पंसद बंसल को जानें
नरेश बंसल पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं में से हैं. वर्तमान में वह सरकार में दर्जाधारी हैं. उनका संगठन में लंबा अनुभव है. वे सात साल संगठन महामंत्री रहे. इतने साल उन्होंने प्रदेश महामंत्री का दायित्व निभाया. लोस चुनाव मे उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. उनके अनुभव को देखते हुए ही उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया है.
कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भी बनाये गये थे बंसल
लोकसभा 2019 के समय अजय भट्ट की जगह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने नरेश बंसल को प्रदेश भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष भी मनोनीत किया था. तब इसे लेकर सियासी गलियारों में खूब हंगामा बरपा था. तब भाजपा में आपसी खींचतान की खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरी थी.
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बहुगुणा के हाथ लगी मायूसी
2016 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए बहुगुणा का नाम राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर सबसे आगे देखा जा रहा था. मगर नरेश बंसल के नाम पर मुहर लगने के बाद अब विजय बहुगुणा के हाथ मायूसी लगी है. बता दें बहुगुणा ने साल 2016 में कांग्रेस के 10 विधायकों को भाजपा में शामिल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसके बाद हुए विस और लोकसभा चुनावों में उन्होंने दावेदारी नहीं की थी. जिसके बाद उम्मीद थी कि वे राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाये जा सके हैं, मगर ऐसा नहीं हुआ.