देहरादून:नैनीताल की खूबसूरती के लिए नासूर बन चुके बलिया नाले के लिए नए साल के साथ ही नई सुबह आने की उम्मीद जगी है. तकरीबन डेढ़ सौ साल से दरक रहे बलिया नाले के ट्रीटमेंट के लिए शासन की ओर से 192 करोड़ रुपये की घोषणा की गई है. मुख्य सचिव ने ट्रीटमेंट के कार्य दो वर्ष के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं.
लगातार दरक रही इस पहाड़ी के ट्रीटमेंट पर अब तक करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला. बलियानाला क्षेत्र में भूस्खलन का इतिहास लगभग 155 साल पुराना है. बीते वर्षों में यह बहुत ज्यादा बढ़ गया है. नैनीताल शहर सहित नैनी झील के लिए यह एक बड़ा खतरा बन चुका है. नैनीताल की जड़ पर स्थित इसी पहाड़ी की तलहटी से होकर नैनीझील का अतिरिक्त पानी ज्योलीकोट की ओर जाता है.
बलिया नाले में साल 1867 में सबसे पहले भूस्खलन का रिकॉर्ड उपलब्ध है. उसके बाद साल 1889 में हुए भूस्खलन में वीरभट्टी, ज्योलीकोट रोड ध्वस्त हो गई थी. इसी वर्ष यहां से कैलाखान की ओर से भी भूस्खलन हुआ. बाद में 17 अगस्त, 1898 के भूस्खलन में यहां 27 लोगों की जान चली गई और यहां स्थित प्रसिद्ध बियर फैक्ट्री तबाह हो गई. बीसवीं सदी में वर्ष 1924 में यहां फिर भारी भूस्खलन हुआ. इसमें एक स्थानीय महिला और दो पर्यटक मारे गए. यहां स्थित एक रेस्टोरेंट, कुछ दुकानें, पुलिस चेक पोस्ट सहित राज्यपाल का गैराज भी ध्वस्त हो गए.