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वकील, हिस्ट्रीशीटर और प्रॉपर्टी डीलरों ने ऐसे बुना फर्जी रजिस्ट्री का जाल, मुजफ्फरनगर का गैंगस्टर विशाल गिरफ्तार, चौकी प्रभारी पर भी गिरी गाज

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 29, 2023, 5:11 PM IST

Updated : Sep 29, 2023, 7:06 PM IST

Dehradun Land Forgery Case देहरादून रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा मामले में SIT लगातार एक्शन में है. इस मामले में मुजफ्फरनगर के गैंगस्टर और हिस्ट्रीशीटर विशाल कुमार को गिरफ्तार किया गया है. विशाल कुमार के खिलाफ पहले ही कई मुकदमें दर्ज हैं. विशाल कुमार ने वकील कमल विरमानी के साथ मिलकर जमीन फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए थे. Land Registry Scam Case Dehradun

Dehradun Land Forgery Case
जफ्फरनगर का हिस्ट्रीशीटर गिरफ्तार

जफ्फरनगर का हिस्ट्रीशीटर गिरफ्तार

देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित लैंड रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा मामले में मुजफ्फरनगर के नामी गैंगस्टर और हिस्ट्रीशीटर विशाल कुमार को दून पुलिस ने गिरफ्तार किया है. साथ ही आरोपी के खिलाफ थाना राजपुर में पंजीकृत धोखाधड़ी के मुकदमे की विवेचना में लापरवाही बरतने पर चौकी प्रभारी जाखन सुमेर सिंह को हटाते हुए कार्यालय से अटैच किया गया. आरोपी ने कमल विरमानी, वकील इमरान और केपी के साथ मिलकर जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाकर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की थी. पुलिस ने आरोपी को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया है.

जांच में सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा:बता दें, 15 जुलाई 2023 को संदीप श्रीवास्तव सहायक महानिरीक्षक निबंधन और जिलाधिकारी देहरादून द्वारा गठित समिति ने जांच रिपोर्ट सौंपी, जिसके अनुसार आरोपियों की मिलीभगत और धोखाधड़ी की नीयत से आपराधिक षडयंत्र रचकर रजिस्ट्रार कार्यालय और सब रजिस्ट्रार कार्यालय में अलग-अलग जमीन बेचने और रजिस्ट्री से संबंधित कागजों (डीड संख्या 2719/2720 साल 1972, डीड संख्या 3193, डीड संख्या 3192, डीड संख्या 545 साल 1969, डीड संख्या 10802/10803) के साथ छेड़छाड़ की गई. रिकॉर्ड्स के फर्जीवाड़े के संबध में तहरीर के अनुसार नगर कोतवाली में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.
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एसआईटी जांच में सामने आया विशाल कुमार का नाम:इसके बाद एसआईटी टीम ने पूरे मामले की जांच करने के बाद संतोष अग्रवाल, दीप चंद अग्रवाल, मक्खन सिंह, कार्यालय में नियुक्त डालचंद, वकील इमरान अहमद, रिकॉर्ड रूम में नियुक्त अजय सिंह क्षेत्री, रोहताश सिंह, विकास पांडे, कुंवर पाल उर्फ केपी और शहर के नामी वकील कमल विरमानी को गिरफ्तार किया. ये सभी वर्तमान में ज्यूडिशियल कस्टडी में जिला कारागार में बंद हैं. एसआईटी ने इन लोगों से पूछताछ की, जिसमें कई अन्य लोगों के नाम सामने आए. जांच में पाया गया कि राजपुर रोड जाखन में स्थित भू-स्वामी स्वरूप रानी की भूमि के डीड (रजिस्ट्री) फर्जी तरीके से तैयार कर मुजफ्फरनगर निवासी मांगे राम (आरोपी विशाल कुमार का पिता) के नाम किए गए. उन्हें भी रजिस्ट्रार रिकॉर्ड रूम में चढ़ाया गया.
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इस जाली रिकॉर्ड की जांच करने पर पाया गया कि आरोपियों ने भूमि के डीड (रजिस्ट्री) मांगे राम के नाम तैयार करने के बाद उनकी मृत्यु दिखाकर उनकी जाली वसीयत उनके बेटे विशाल कुमार के नाम से तैयार की, जिसके आधार पर यह भूमि रेखा शर्मा को बेची गई. उसके बाद यह भूमि रेखा शर्मा से देहरादून निवासी कमल जिंदल को बेची गयी. एसआईटी टीम ने दस्तावेजों की जांच के बाद मुजफ्फरनगर से आरोपी विशाल को गिरफ्तार किया है.
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मुजफ्फनगर में हिस्ट्रीशीटर है आरोपी विशाल:आरोपी विशाल कुमार प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता है. आरोपी के खिलाफ मुजफ्फरनगर में पहले से 15 मुकदमे पंजीकृत हैं. आरोपी मुजफ्फनगर से हिस्ट्रीशीटर भी है. आरोपी प्रॉपर्टी के सिलसिले में देहरादून आया करता था. साल 2018 में आरोपी की मुलाकात वकील कमल विरमानी से हुई थी. कमल विरमानी ने ही आरोपी को जाखन में स्वरूप रानी की प्रॉपर्टी दिखायी और ये बताया कि स्वरूप रानी की मौत हो चुकी है. उनकी बेटियां नोएडा और विदेश में रहती हैं. कमल विरमानी ने ही विशाल कुमार को वकील इमरान के पास भेजा. उसके बाद विशाल कुमार की मुलाकात केपी उर्फ कुंवर पाल से करायी गयी.
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ऐसे किया बड़ा जमीन फर्जीवाड़ा:इन सभी ने मिलकर साल 1978 में फर्जी डीड (रजिस्ट्री) पत्र बनाकर जाखन स्थित प्रॉपटी स्वरूप रानी से विशाल कुमार के पिता मांगेराम के नाम रजिस्ट्री कार्यालय में दर्ज करा दी. इसके बाद मांगे राम की वसीयत में जाखन स्थित प्रॉपर्टी उसके बेटे विशाल कुमार के नाम होना दिखाया गया. फिर इस प्रॉपटी का सौदा संजय शर्मा के साथ ₹2 करोड़ 90 लाख में तय किया. रजिस्ट्री संजय शर्मा की पत्नी रेखा शर्मा के नाम कर दी गई. संजय शर्मा ने इन लोगों को 45 लाख रुपये दिए जिसको इन चारों लोगों ने आपस में बांट लिया. प्रॉपर्टी दाखिल खारिज न होने के कारण इन लोगों ने दोबारा इसी भूमि को दलाल रकम सिंह के माध्यम से देहरादून निवासी कमल जिंदल को रजिस्ट्री बेच दी, जिसमें इनको 40 लाख रुपये कमल जिंदल से मिले. इस पैसे को भी सभी लोगों ने आपस में बांट लिया. इसके बाद इन लोगों ने प्रॉपर्टी पर कब्जे का प्रयास किया.

आरोपी कमल विरमानी.

इसकी जानकारी मूल स्वामी स्वरूप रानी की बेटी मीनाक्षी सूद और किरण दवे को हो गई. दोनों बहनों से राजपुर थाने में विशाल कुमार और संजय शर्मा के खिलाफ दर्ज करवाया गया. मुकदमा दर्ज होने के बाद कमल विरमानी और इमरान की सलाह पर विशाल कुमार और संजय शर्मा ने मूल रजिस्ट्री खो जाने की बात तात्कालिक जांच अधिकारी को बताई. इसके साथ ही इन दोनों ने साल 2022 में मुजफ्फरनगर थाना मंडी में रजिस्ट्री खो जाने की गुमशुदगी रिपोर्ट लिखवायी, साथ ही मुजफ्फरनगर के अखबार में भी यह बात छपवाई गई.
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जांच अधिकारी की लापरवाही आई सामने:देहरादून एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि इस मामले में मुकदमा 5 मार्च 2023 को दर्ज किया गया, जिसकी जांच उपनिरीक्षक (SSI) सुमेर सिंह को सौंपी गई. जांच के दौरान अधिकारियों ने समय-समय पर जांच अधिकारी को ठोस कार्रवाई किए जाने की निर्देश दिए लेकिन जांच अधिकारी ने इन निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया और आरोपी विशाल कुमार के खिलाफ कम धाराओं में मुकदमा दर्ज किया. जांच अधिकारी द्वारा आरोपी के खिलाफ सही कार्रवाई न करने पर इसको लापरवाही मानते हुए एसएसपी देहरादून ने उपनिरीक्षक सुमेर कुमार को पुलिस कार्यालय अटैच कर दिया है. इसके साथ ही एसएसपी ने बताया कि आरोपी विशाल कुमार से पूछताछ में अन्य कई आरोपियों के नाम भी सामने आए हैं.

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ऐसे होता था खेल:सहारनपुर निवासी केपी (कंवर पाल) सिंह इस पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड है. इसी शख्स ने सभी आरोपियों को जोड़कर अलग-अलग फर्जीवाड़े किए हैं. केपी सहारनपुर और देहरादून में पुरानी और विवादित जमीनों की पुरानी रजिस्ट्री बनवाता था और उनको अपने जानने वालों के नाम चढ़ाकर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा करता था. इसमें मुंशी रोहताश और वकील इमरान मदद करते थे.

पुरानी रजिस्ट्री दिखाने के लिए पुराने स्टाम्प पेपर और मुहरों की व्यवस्था केपी खुद करता था. रजिस्ट्री की ड्राफ्टिंग के लिए नामी वकील कमल बिरमानी मदद करता था. रजिस्ट्रार कार्यालय में नियुक्त डालचंद और राजस्व रिकॉर्ड रूम में नियुक्त अजय क्षेत्री विकास पांडे की सहायता से उन कागजों को रिकॉर्ड रूम में रख देते थे. इसके बाद वकील कमल विरमानी से उनसे संबंधित केसों की पैरवी करवाकर राजस्व रिकॉर्ड रूम में नाम दर्ज करा दिया जाता था. ये सब करने के बाद लोगों को भरोसे में लेकर जमीन सही सही दिखाई जाती थी और पैसे ऐंठे जाते थे. इसको काफी बड़ा नेक्सस बना दिया गया था जिसे SIT लगातार तोड़ रही है.

Last Updated : Sep 29, 2023, 7:06 PM IST

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