उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

महंगाई की आग में खौल रहा सरसों का तेल, पेट्रोल-डीजल को भी पछाड़ा

खाद्य तेलों के दाम पिछले कुछ महीनों में पेट्रोल और डीजल के दामों से भी आगे निकल गए हैं. पिछले एक साल में खाने वाले तेल की कीमतों में करीब 50 फीसदी बढ़ोत्तरी देखी गई है.

सरसों का तेल
सरसों का तेल

By

Published : May 28, 2021, 6:28 PM IST

Updated : May 28, 2021, 7:10 PM IST

देहरादून:कोरोना काल में लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले से ही कोरोना महामारी के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है. पेट्रोल-डीजल के साथ खाद्य तेलों की कीमतों भी आसमान छू रही हैं. इसी को लेकर सोशल मीडिया पर एक मीम भी काफी ट्रेंड कर रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि पेट्रोल-डीजल लड़ते रहे और बाजी सरसों के तेल ने मार ली. ऐसे में कई परिवारों का तो बजट बिगड़ गया है.

महंगाई की आग में खौल रहा सरसों का तेल,

सरसों के तेल की कीमतों में एक साल के अंदर कितना उछाल आया है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरसों का जो तेल पिछले साल 2020 में 90 से 95 रुपए लीटर बिक रहा था, वो अब 165 से 170 प्रति लीटर तक पहुंच गया है. ऐसे में आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि एक साल में सरसों के तेल के कितने दाम बढ़े हैं.

डीजल-पेट्रोल से सरसों ने मारी बाजी.

दाम में बेतहाशा बढ़ोत्तरी

वहीं बात रिफाइंड की जाए तो उसकी दामों में इसी तरह का उछाल देखने को मिला है. एक साल पहले यानी 2020 में अप्रैल तक जहां एक लीटर रिफाइंड 70 से 80 प्रति लीटर मिल रहा था, वो अब 150 से 160 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है. राजधानी देहरादून में बीते 45 सालों से सरसों के तेल और रिफाइंड का थोक कारोबार करने वाले स्थानीय व्यापारी कुलभूषण अग्रवाल बताते हैं कि पिछले एक साल में सरसों के तेल और रिफाइंड के दाम काफी तेजी से बढ़े हैं. इससे न सिर्फ आम आदमी की रसोई का बजट बिगड़ा है, बल्कि थोक व्यापारी भी महंगाई से परेशान चल रहा है.

बता दें कि भारत हर साल इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्राजील और यूएई जैसे देशों से लगभग 150 लाख टन एडिबल ऑइल का आयात करता है. इसकी अहम वजह यह है कि एडिबल ऑइल के मामले में भारत का खुद का प्रति वर्ष का उत्पादन महज 70 से 80 लाख टन ही है. ऐसे में जब अंतरराष्ट्रीय मार्केट में इन एडिबल ऑयल की कीमत बढ़ती है तो इसका सीधा असर भारत के बाजारों में बिक रहे सरसों के तेल और रिफाइंड ऑयल पर पड़ता है.

देहरादून के थोक व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद गोयल बताते हैं कि पिछले दो माह से सरसों के तेल और रिफाइंड की कीमत स्थिर चल रही है, लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में रिफाइंड और सरसों के तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो इससे एक बार फिर भारत में भी सरसों के तेल और रिफाइंड तेल की कीमतें बढ़ जाएंगी.

एडिबल ऑयल की कीमतों में तेजी से हो रही वृद्धि पर तभी लगाम लग सकती है, जब देश में ऑयल सीड की पैदावार बढ़ाई जाए और बाहरी देशों पर एडिबल ऑयल के लिए निर्भरता खत्म हो. बहरहाल कुल मिलाकर देखेंगे तो कोरोना संकट के इस दौर में एक तरफ लोग कारोबार और काम ठप होने से परेशान हैं तो वहीं दूसरी तरफ महंगाई ने लोगों के घरों का बजट बिगाड़ा हुआ है. ऐसे में सरकार को इसका कोई बेहतर विकल्प जरूर तलाशना चाहिए, जिससे संकट के इस दौर में कम से कम लोगों को महंगाई का झटका तो न लगे.

भारत में सरसों का उत्पादन कितना होता है?

सरसों रबी सीजन की प्रमुख तिलहन फसल है. देश में इस सीजन सरसों का प्रोडक्शन 104.27 लाख टन रहने का अनुमान है. वहीं, खाद्य तेल उद्योग संगठन सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर ऑइल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (COOIT) और मस्टर्ड ऑइल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के मुताबिक यह आंकड़ा 89.50 लाख टन रहने का अनुमान है. हालांकि, तेल के प्रोडक्शन का फिलहाल कोई डेटा नहीं उपलब्ध है.

Last Updated : May 28, 2021, 7:10 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details