मसूरी: पहाड़ों की रानी कहे जाने वाले मसूरी में विंटर कार्निवाल चल रहा है. वहीं अव्यवस्थाओं का आलम ये है कि शनिवार को पर्यटकों की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने माल रोड पर बिना पूर्व सूचना दिए सभी वाहनों को प्रतिबंद्धित कर दिया. जिससे स्थानीय लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा. वहीं, लोगों की पुलिस के साथ नोकझोंक भी हुई. वहीं, मसूरी विंटर लाइन कार्निवल के तहत उत्तरकाशी में अंगहा माउंटेन एसोसिएशन द्वारा पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ बग्वाल त्योहार को मसूरी के शहीद स्थल पर मंचन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ जिलाधिकारी सी रविशंकर द्वारा किया गया.
लोगों का कहना है कि अधिकारी स्थानीय लोगों की समस्या को न देखकर अपने अधिकारी को खुश करने के लिए सारे नियमों को ताक पर रख रहे हैं, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर नियम है तो सबके लिए होने चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा माल रोड में वाहनों को प्रतिबंध करने से लोगों को खासी परेशानी हुई है. उन्होंने कहा कि कार्निवाल को लेकर प्रशासन और पुलिस द्वारा पूर्व में किसी प्रकार का कोई एक्शन प्लान तैयार नहीं किया गया, जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों के साथ देश-विदेश से आए पर्यटकों को भी भुगतना पड़ा है.
जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने कहा कि मसूरी का इंफ्रास्ट्रक्चर सीमित है और एक ही माल रोड है, जहां पर सभी कार्यक्रम कराए जा रहे हैं. ऐसे में शनिवार को पर्यटकों की भारी भीड़ को देखते हुए माल रोड में कुछ समय के लिए यातायात को सुचारू रखने के लिए वाहनों को प्रतिबंध किया गया था. उन्होंने कहा कि जल्द मसूरी में वन-वे प्रणाली को लागू करने के लिए प्रशासन द्वारा योजना बनाई जाएगी.
जिलाधिकारी देहरादून सी रविशंकर ने बताया कि मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल के तहत उत्तराखंड की संस्कृति के साथ विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति को प्रदर्शित किया जा रहा है, जिसका देश-विदेश के पर्यटकों के साथ स्थानीय लोग जमकर लुत्फ उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पारंपरिक त्योहार को भी कार्निवल के तहत प्रदर्शित करने का काम किया जा रहा है, जिसके तहत शनिवार को उत्तरकाशी क्षेत्र के मशहूर बग्वाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिससे स्थानीय लोग और पर्यटकों को पहाड़ की संस्कृति से रुबरू करवाया गया.
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एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र नौटियाल ने बताया कि कार्निवाल के दौरान देश-विदेश से आए पर्यटक को प्रदेश की संस्कृति के महत्व के बारे में बताने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं, उन्होंने कहा कि भगवान राम के वनवास से अयोध्या लौटने की खबर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में करीब एक महीने बाद पता चली थी, जिसके बाद ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई. इसी दिन को ग्रामीण बग्वाल के रूप में मनाते हैं.
वहीं, दूसरी ओर उत्तरकाशी में वीर माधव सिंह भंडारी की याद में बग्वाल का मनाई जाती है. बता दें कि माधव सिंह भंडारी गढ़वाल के महान योद्धा और कुशल इंजीनियर थे, जो आज से लगभग 400 साल पहले पहाड़ों का सीना चीरकर नदी का पानी अपने गांव लालूड़ी लेकर आए थे. बग्वाल उत्सव के आयोजन में गढ़ संग्रहालय है. गढ़ बाजार और गढ़ भोजन के बारे में भी जानकारी दी गई, जिसका लोगों ने खूब आनंद लिया. कलाकार अपनी पारंपरिक वेशभूषा में नाचते गाते नजर आए बग्वाल यानी दीपावली भी इसी का हिस्सा है. गांव में रात्रि में सभी लोग किसी खेत खलियान पर जमा होने के साथ ही भेलू को चीड़ की लकड़ियों से बनी मशाल को घुमाते हुए नृत्य करते हैं.