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मसूरी छावनी परिषद के उपाध्यक्ष पर बड़ी कार्रवाई, सेना ने खाली कराया कब्जाया मकान, किया सील

मसूरी में छावनी परिषद के उपाध्यक्ष महेश चंद को सरकारी आवास पर किए गए कब्जे को खाली करने की बात पर जमकर हंगामा हुआ. महेश चंद मकान खाली ना करने की जिद पर अड़े रहे. जिस पर जमकर नोकझोंक हुई.

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Published : Oct 23, 2019, 11:12 PM IST

Updated : Oct 23, 2019, 11:19 PM IST

मसूरी छावनी परिषद

मसूरीः छावनी परिषद के सरकारी मकान पर किए कब्जे को खाली कराने को लेकर उपाध्यक्ष महेश चंद और मिलिट्री और पुलिस फोर्स के बीच जमकर बवाल हुआ. इस दौरान छावनी परिषद उपाध्यक्ष महेश चंद मकान को खाली ना करने के लिए अड़े रहे. वहीं, शाम को मिलिट्री और पुलिस ने बमुश्किल मकान को खाली कराया और सील की कार्रवाई की.

सेना ने खाली कराया मसूरी छावनी परिषद के उपाध्यक्ष का कब्जा.

दरअसल, मिलिट्री और पुलिस फोर्स बुधवार को सुबह करीब 6 बजे छावनी परिषद पहुंची. इस दौरान फोर्स ने छावनी परिषद के उपाध्यक्ष महेश चंद द्वारा सरकारी आवास पर किए गए कब्जे को खाली करने के लिए कहा, लेकिन महेश चंद मकान खाली ना करने की जिद पर अड़े रहे.

इस दौरान महेश चंद ने जिला जज का हवाला देते हुए कहा कि 30 अक्टूबर को देहरादून में सुनवाई के लिए बुलाया गया है. ऐसे में एकाएक कार्रवाई करना उनके खिलाफ एक षड्यंत्र है. इतना ही नहीं उन्होंने किसी भी सूरत में मकान खाली नहीं करने की बात कही. जिस पर जमकर नोकझोंक हुई.

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वहीं, शाम के समय मिलिट्री और पुलिस ने बल पूर्वक मकान को खाली कर सील कर दिया. महेश चंद ने कहा कि जिला जज देहरादून से इस कार्रवाई पर स्टे मिल गया था, लेकिन अधिकारियों ने स्टे के बाद भी उनके मकान को सील कर दिया है. साथ ही इस कार्रवाई का पुरजोर विरोध करने की बात कही.

उधर, छावनी परिषद के अधिकारियों का कहना है कि महेश चंद को एक महीने पहले ही नोटिस भेज दिया गया था. जिसमें बताया गया था कि 23 अक्टूबर को छावनी परिषद की ओर से कार्रवाई की जानी है. ऐसे में उनके मकान को खाली करना होगा, लेकिन वे छावनी परिषद के नियमों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं.

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गौर हो कि, साल 2014 में उपाध्यक्ष महेश चंद के पिता छावनी परिषद से रिटायर हो चुके थे. वे पहले इसी मकान में रहते थे. नियम के अनुसार 90 दिन के भीतर रिटायर कर्मचारी को सरकारी आवास खाली करना होता है, लेकिन उन्होंने मकान खाली नहीं किया.

जिसे लेकर छावनी परिषद ने कई बार नोटिस भेजा. बावजूद उनके कानों में जूं नहीं रेंगी. मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद फैसला छावनी परिषद के हक में आया. जिसके बाद छावनी परिषद ने कार्रवाई की है.

Last Updated : Oct 23, 2019, 11:19 PM IST

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