ऋषिकेशःदशहरा के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले दहन करते हैं. पुतले बनाने के लिए कारीगर काफी पहले से ही काम पर जुट जाते हैं. तीर्थनगरी में एक मुस्लिम परिवार हिंदुओं के इस पवित्र पर्व दशहरा में रंग भरने का काम कर रहा है. ये मुस्लिम परिवार बीते 55 सालों से यानि तीन पीढ़ियों से पुतला बनाने का काम कर रहा है. जो हिंदू-मुस्लिम की एकता और आपसी सौहार्द का संदेश दे रहे हैं.
दशहरा के लिए पुतले बनाकर कौमी एकता का संदेश देता मुस्लिम परिवार. दरअसल, ऋषिकेश में साल 1964 से मुज्जफरनगर (यूपी) के शफीक अहमद का परिवार रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बनाने का काम करता आ रहा है. शफीक अहमद अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं. जो हिंदुओं के त्योहार दशहरा में रंग भरने के लिए इन पुतलों को बनाने का काम कर रहे हैं. इन पुतलों की ऊंचाई 40 से 50 फुट तक होती है. ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट, आईडीपीएल और लक्ष्मण झूला समेत कई स्थानों पर इन पुतलों को दहन किया जाता है.
ये भी पढ़ेंःआस्था और चमत्कार का दरबार है मां चूड़ामणि का मंदिर, भक्तों की हर कामना होती है पूरी
इन पुतलों को बनाने के लिए ये 12 से ज्यादा मुस्लिम कारीगर करीब डेढ़ महीने तक कड़ी मेहनत कर पुतलों को तैयार करते हैं. इतना ही नहीं ये मुस्लिम कारीगर हिंदुओं के अन्य त्योहारों जैसे जन्माष्टमी और कावड़ यात्रा में भी अपना योगदान देते हैं. Etv Bharat से खास बातचीच करते हुए कारीगरों ने बताया कि उन्हें हिंदुओं के पर्व में अपनी कलाकारी से रंग भरने का एक अलग ही आंनद आता है.
कारीगर शफीक अहमद ने बताया कि 55 साल पहले उनके पिता ने रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों को बनाने का काम शुरू किया था. पिता के साथ रहते हुए उन्होंने भी यह काम सीख लिया था. जिसे अभी तक जारी रखा है. साथ ही कहा कि उन्हें इस काम से काफी खुशी भी मिलती है. वहीं, अब शफीक के भांजे भी इस काम को सीख रहे हैं और अपने परिवार की विरासत को आगे ले जाने की बात कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंःमां दुर्गा के जयकारों से गूंजी बाबा बागनाथ की नगरी, पंडालों में भजन-कीर्तनों की धूम
वहीं, एक ओर जहां देश में कुछ लोग हिंदू-मुस्लिम को बांटने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं, ये मुस्लिम परिवार कौमी एकता का संदेश दे रहा है. जो एक मिशाल कायम कर रहा है.