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भारतीय संस्कृति और इतिहास से होना चाहते हैं रूबरू तो देहरादून का ये म्यूजियम कर रहा है आपका इंतजार

देहरादून का भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण म्यूजियम है बेहद खास. हड़प्पा सिविलाइजेशन से लेकर राज्यों के वाद्य यंत्र का है यहां संग्रह.

देहरादून का एएनएसआई म्यूजियम.

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Published : May 7, 2019, 10:03 PM IST

देहरादून: इतिहास और भारतीय संस्कृति से अगर आप खुद को जोड़े रखना पसंद करते हैं तो यह जगह आपके लिए बेहद ही खास है. हम बात कर रहे हैं देहरादून स्थित एएनएसआई (भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण) के म्यूजियम की, जहां आप रूपकुंड के रहस्यमयी नर कंकालों के साथ ही हड़प्पा संस्कृति से जुड़े कई अवशेषों का भी दीदार कर सकते हैं.

देहरादून का एएनएसआई म्यूजियम.

इसके अलावा भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण के इस संग्रहालय में उत्तर भारत की तमाम जनजातियों के साथ ही अन्य स्थानीय लोगों के पारंपरिक कृषि औजार, परिधान, आभूषण और वाद्य यंत्र भी संजो कर रखे गए हैं. दरअसल, यह संग्रहालय एएनएसआई के उत्तरी केंद्र के अंतर्गत आता है. इसमें उत्तराखंड समेत जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व केंद्र शासित राज्य चंडीगढ़ शामिल हैं. यही कारण है कि इस संग्रहालय में इन क्षेत्रों के विभिन्न जनजातियों और समुदायों की संस्कृति से संबंधित सैंपल रखे गए हैं.

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इस संग्रहालय में आप इन चीजों के दीदार कर सकते हैं-

  • रहस्यमयी रूपकुंड से मिले नर कंकाल.
  • हड़प्पा संस्कृति से जुड़ी मानव खोपड़ियां.
  • कृषि में काम आने वाले पौराणिक औजार.
  • संग्रहालय में मौजूद है कश्मीरी समुदाय द्वारा पहने जाने वाले आभूषण जो कि अब इस्तेमाल होने वाले आभूषणों की तुलना में 5 गुना ज्यादा बड़े हैं.
  • विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके उत्तराखंड हिमाचल और जम्मू कश्मीर के वाद्य यंत्र.

एएनएसआई के देहरादून स्थित संग्रहालय अधीक्षण डॉ. हर्षवर्धन बताते हैं कि इस संग्रहालय में विभिन्न जनजातियों की रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले सामान को भी रखा गया है. इसके पीछे का मुख्य कारण है कि विभिन्न जनजातियों से जुड़े लोग प्रकृति और अपनी पारंपरिक संस्कृति के बारे में जान सकें और खुद को उसके करीब पायें. क्योंकि, शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग प्रकृति और अपनी संस्कृति से काफी दूर हो चुके हैं इसलिए म्यूजियम के माध्यम से वो अपनी संस्कृति से जुड़ी चीजों से जुड़ सकते हैं.

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि यूं तो ये संग्रहालय 1995 से सूबे की राजधानी देहरादून में मौजूद है. लेकिन, आज भी कम ही लोग हैं इस बेहद खास म्यूजियम के बारे में जानते हैं. म्यूजियम की देखरेख कर रहे कर्मचारियों के मुताबिक कई दिन ऐसे भी होते हैं जब इस म्यूजियम में कोई भी नहीं आता. बता दें कि इस म्यूजियम में प्रवेश लेने के लिए कोई शुल्क नहीं वसूला जाता.

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