देहरादूनःमूलनिवासी कर्मचारी कल्याण महासंघ की ओर से निजीकरण राष्ट्र एवं संविधान के विरोध में क्यों और कैसे विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व आईएएस सुवर्धन शाह (Former IAS Suvardhan Shah) शामिल हुए. इस दौरान वक्ताओं ने निजीकरण को लेकर अपने-अपने विचार रखे.
देहरादून में मूलनिवासी कर्मचारी कल्याण महासंघ की संगोष्ठी, गिनाए निजीकरण के नुकसान
देहरादून में निजीकरण को लेकर मूलनिवासी कर्मचारी कल्याण महासंघ की संगोष्ठी आयोजित की. इस दौरान उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने देश में निजी संस्थाओं और सरकारी संस्थाओं को साथ-साथ बढ़ाने की वकालत की थी, लेकिन अब निजीकरण किया जा रहा है, जो ठीक नहीं है.
मूलनिवासी कर्मचारी कल्याण महासंघ से जुड़े वक्ताओं ने कहा कि सरकारी संस्थानों का निजीकरण (Government institutions Privatization) राष्ट्रहित, संविधान और संविधान के समाजवादी दर्शन के खिलाफ है. यह कुछ लोगों के हाथों में धन संकेंद्रण की अनुमति देने के पक्ष में है. इसके अलावा बहुसंख्यक लोगों को बेबस और लाचार बनाने का तंत्र है. महासंघ के अध्यक्ष सुरेश गौतम (MKKM President Suresh Gautam) का कहना है कि संविधान निर्माताओं ने देश में निजी संस्थाओं और सरकारी संस्थाओं को साथ-साथ बढ़ाने की वकालत की थी. अगर सरकार सब कुछ निजी हाथों (Privatization in India) में दे देती है तो हाशिए पर धकेले गए नागरिकों के साथ कैसे सामाजिक न्याय सुनिश्चित हो पाएगा?
इस दौरान एमकेकेएम (MKKM) यानी मूलनिवासी कर्मचारी कल्याण महासंघ (Mulnivasi Karmachari Kalyan Mahasangh) ने 10 प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दों को भी उठाया. जिसमें पदोन्नति में ओबीसी के लिए प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कराना व क्रीमी लेयर को समाप्त करना, सार्वजनिक नियुक्तियों, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति, संविदात्मक नियुक्तियों आदि के सभी स्तरों के लिए अनुसूचित जाति जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व के लिए एक अधिनियम पास कराना आदि शामिल है. बता दें कि कई जगहों पर निजीकरण का विरोध हो रहा है. अब एमकेकेएम ने भी निजीकरण को लेकर आवाज बुलंद की है.