देहरादून: लॉकडाउन के बाद कारखाने बंद हो गए, दिहाड़ी मजदूरों का काम छिन गया और उन्हें शहरों से पलायन कर गांवों की ओर जाना पड़ा. लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में प्रवासी वापस उत्तराखंड लौटे हैं. राज्य सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक करीब ढाई लाख प्रवासी वापस उत्तराखंड वापस आ चुके हैं. वापस लौटने वाले प्रवासियों को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश में चल रही सभी स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ने को कहा है. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का लाभ सभी लाभार्थियों को मिले, इसके लिए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट को दौरा कर जमीनी हकीकत जानने का आदेश दिया है.
गांव लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उत्तराखंड सरकार पूरी तरह से सक्रिय है. प्रवासियों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए त्रिवेंद्र सरकार 300 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है. कोरोना के बाद लगभग 90% उद्योगों ने काम कराना शुरू कर दिया है. उत्तराखंड में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत अब कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन आवेदन कर सकता है. इसके तहत निर्माण क्षेत्र में 25 लाख और सेवा क्षेत्र में अधिकतम 10 लाख के प्रोजेक्ट को 15 से 25 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलेगी. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना तेज गति से काम करे, इसके लिए प्रदेश सरकार सभी जिलाधिकारियों को 110 करोड़ रुपए का फंड पहले ही उपलब्ध करा चुकी है.
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ग्राउंड जीरो की जानकारी जुटा रहे अधिकारी
ETV BHARAT से खास बातचीत में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने बताया कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर प्रवासियों को रोजगार से जोड़ने का काम किया जा रहा है. वापस लौटे प्रवासी किस सेक्टर में काम करना चाहते हैं और किस तरह से उनके अनुभव का प्रयोग किया जा सकता है. इन सभी चीजों को जानने के लिए अधिकारी पहाड़ का रुख कर रहे हैं. रमेश भट्ट खुद पहले चरण में 3 जिलों का भ्रमण कर चुके हैं. इसके बाद दूसरे चरण में अन्य जिलों का भ्रमण किया जाएगा. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को लेकर पहाड़ के युवाओं में काफी उत्साह है और इस योजना का लाभ उठाकर युवा अपनी आजीविका बढ़ाने में जुटे हुए हैं. रमेश भट्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत संदेश का असर पहाड़ी इलाकों में देखने को मिल रहा है.