विश्व कैंसर दिवस: उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही मुंह और गर्भाशय कैंसर रोगियों की संख्या
कैंसर एक ऐसा रोग है जो हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों को काल के गाल में धकेल रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 9.6 मिलियन लोगों की मौत का कारण कैंसर होता है. साल 2030 तक इस संख्या के लगभग दोगुने होने का अनुमान है. उत्तराखंड में भी कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
विश्व कैंसर दिवस
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Published : Feb 4, 2021, 5:27 PM IST
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Updated : Feb 5, 2021, 8:08 PM IST
देहरादून/हल्द्वानी: देश और दुनिया वर्तमान में कोरोना महामारी से जूझ रहा है, लेकिन एक और बीमारी है, जिसका नाम सुनकर ही लोगों का गला सुख जाता है. हम जानलेवा बीमारी कैंसर की बात कर रहे हैं. जो देशभर की तरह उत्तराखंड में भी अपने पांव तेजी से पसार रहा है. विश्व कैंसर दिवस पर ईटीवी भारत आपको कैंसर को लेकर जागरुक करने के साथ ही सावधानियों के बारे में बताएगा, जिसको जानकर आप भी इस बीमारी से बच सकते हैं.
विश्व कैंसर दिवस
कैंसर से प्रतिवर्ष 9.6 मिलियन लोगों की मौत
कैंसर एक ऐसा रोग है जो हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों को काल के गाल में धकेल रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 9.6 मिलियन लोगों की मौत का कारण कैंसर होता है. साल 2030 तक इस संख्या के लगभग दोगुने होने का अनुमान है. उत्तराखंड में भी कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोनाकाल में भी हिमालयन हॉस्पिटल के कैंसर विंग में करीब 35 हजार रोगियों का उपचार किया गया.
कैंसर के कारण क्या है ?
कैंसर के लक्षणों का जल्द पता नहीं चलता
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि कई बार कैंसर के लक्षणों का पता ही नहीं चलता. जब इस बिमारी पता चलता है, तब तक कैंसर पूरे शरीर में फैल चुका होता है. अगर वक्त पर कैंसर की बीमारी का पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है.
तेजी से बढ़ रही मुंह और गर्भाशय कैंसर रोगियों की संख्या.
लोगों में कैंसर को लेकर खौफ
लोगों में कैंसर का खौफ तो बेहद ज्यादा है, लेकिन इसको लेकर सावधानियां नहीं बरती जाती है. आंकड़े तस्दीक करते हैं कि किस तरह उत्तराखंड में भी कैंसर हावी हो रहा है. ऐसे में लोगों की कैंसर के प्रति जागरूकता ही इससे बचाव का सबसे बड़ा उपाय हो सकता है. खाने की नली और फेफड़ों के कैंसर जैसे मामलों में सफल इलाज करने वाले वरिष्ठ सर्जन डॉ. मुकेश कुमार गुप्ता कहते हैं कि अब तक सैकड़ों लोग कैंसर की बीमारी से मुक्ति पा चुके हैं, लेकिन ऐसा तब हो सका जब लोगों ने जागरूकता दिखाते हुए पहले स्टेज में ही कैंसर से जुड़े टेस्ट करवाएं और उसका ठीक इलाज लिया.
कैंसर के प्रकार
कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के लिए जरूरी है कि आम लोग इस बीमारी को समझें और उसके बारे में जाने. साथ ही इसका पूरी हिम्मत के साथ सामना करें. जागरूकता बढ़ेगी तो कैंसर को भी हराना मुश्किल नहीं रहेगा.
कैंसर के लक्षण
कुमाऊं मंडल में बढ़ते कैंसर रोगी
वहीं, उत्तराखंड में कुमाऊं मंडल में कैंसर के रोगियों की बात करें तो वहां भी संख्या डराने वाली है. कुमाऊं में भी साल दर साल कैंसर के रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. इन कैंसर मरीजों में पुरुषों में मुंह, गला और महिलाओं में गर्भाशय कैंसर के मरीज सामने आ रहे हैं. हल्द्वानी स्थित स्वामी राम कैंसर संस्थान के रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में जहां कैंसर के मरीजों की संख्या 5,000 थी. जो अब बढ़कर वर्ष 2020 में 9000 चुका है. वही, साल दर साल कैंसर के बढ़ते मरीजों की संख्या के बाद अस्पताल प्रशासन भी चिंतित है.
उत्तराखंड में बढ़ता कैंसर मरीजों की संख्या
पर्वतीय क्षेत्र में भी बढ़ते कैंसर मरीज
स्वामी राम कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ केसी पांडे ने बताया कि कुमाऊं मंडल में लगातार कैंसर के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है. 2010 में अस्पताल की स्थापना हुई थी उस वर्ष कैंसर के मरीजों की संख्या 1000 सामने आई थी. साल दर साल ओपीडी और मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रही है. उन्होंने बताया कि 23% पुरुषों में मुंह और गले के कैंसर से पीड़ित है. जबकि 19% महिलाओं में गर्भाशय का कैंसर सामने आया है. 15% फेफड़े के कैंसर मरीजों की संख्या पर्वतीय क्षेत्रों से सामने आ रहे हैं. पर्वतीय क्षेत्रों फेफड़े के कैंसर के मुख्य कारण अधिक ठंड और धूम्रपान है.
कैंसर से बचाव
कुमाऊं में साल दर साल मरीजों की संख्या
साल
मरीजों की संख्या
2015
4000
2016
5000
2017
6000
2018
7000
2019
8000
2020
9000
स्वामी राम कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. केसी पांडे ने बताया कि कैंसर रोग से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जन जागरूकता जरूरी है. किसी भी बीमारी को हल्के में लेने की जरूरत नहीं होती है. शुरुआती जांच में अगर इसका पता लगा लिया जाए तो इसका उपचार संभव रहता है, लेकिन अंतिम स्थिति में रोगियों को बचाना काफी मुश्किल होता है. इसके अलावा तंबाकू धूम्रपान, अल्कोहल से भी बचने की जरूरत है.