देहरादून: राजधानी देहरादून में इन दिनों चल रहे स्मार्ट सिटी के कार्यों के चलते शहर में लगे फायर हाइड्रेंट (दमकलों में पानी भरने के फायर प्लग) गायब हो गए हैं. फायर ब्रिगेड को पता नहीं चल पा रहा है कि किन-किन जगहों पर हाइड्रेंट लगाए हुए थे. वहीं अगर हम बात प्रदेश भर की करें तो 594 फायर हाइड्रेंट हुआ करते थे. वर्तमान में 355 फायर हाइट्रेंड काम कर रहे हैं. 239 फायर हाइड्रेंट काम नहीं कर रहे हैं. ऐसे अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश की बढ़ती आबादी के बाद फायर हाइड्रेंट (Fire hydrant) के कम होने के कारण आप कितने खतरे में रह रहे हैं और वहीं अग्निशमन विभाग को भी कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
जानें क्या होता है फायर हाइड्रेंट: सबसे पहले हम आपको बताएंगे की फायर हाइड्रेंट क्या होता है और इसका प्रयोग कब किया जाता था? फायर हाइड्रेंट, जिसे फायर प्लग के रूप में भी जाना जाता है, विभिन्न आकारों के छोटे, ठूंठदार लोहे के सिलेंडर की तरह दिखते हैं और विभिन्न प्रकार के वॉल्व और कनेक्शन बिंदुओं के साथ दिखाई देते हैं.
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इन उपकरणों को अक्सर सड़कों और फुटपाथों पर देखा जा सकता था, जो एक सक्रिय अग्नि सुरक्षा उपकरण के रूप में जाना जाता है. ये अग्निशामकों को समय पर ढंग से अग्नि स्थल पर निकटतम जल आपूर्ति का पता लगाने में सक्षम बनाते हैं. फायर ट्रक की पानी की टंकी में आग को बुझाने के लिए उचित रूप से चुने गए फायर हाइड्रेंट्स से जुड़े होने से पहले स्थान पर आग को रोकने के लिए पर्याप्त पानी होता है, लेकिन अब धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है.
राजधानी का सबसे बुरा हाल:अब से करीब 25 से 30 साल पहले देहरादून में 66 फायर हाइड्रेंट हुआ करते थे, लेकिन इन 30 सालों में देहरादून की आबादी तो 6 से 10 गुना बढ़ गई, लेकिन उसके अनुरूप फायर हाइड्रेंट की संख्या बढ़ने के बजाए घट गई. आपको जानकार ताज्जुब होगा कि अभी देहरादून में दो ही फायर हाइड्रेंट काम कर रहे हैं और 16 वैकल्पिक फायर हाइड्रेंट से काम चलाना पड़ रहा है. इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि यदि देहरादून की किसी संकरी गली में भयानक आग लग जाए तो वहां क्या स्थिति होगी.
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