उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

गजब! राजधानी में कैसे बुझेगी आग? शहर से गायब हो गए आधे से ज्यादा फायर हाइड्रेंट, पूरे प्रदेश का यही हाल - उत्तराखंड न्यूज

उत्तराखंड में फायर ब्रिगेड की क्या स्थिति है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजधानी देहरादून में आधे से ज्यादा फायर हाइड्रेंट गायब हो चुके हैं. ये हाल खाली राजधानी देहरादून का ही नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में इसी तरह की स्थिति देखने को मिल रही है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 29, 2023, 9:57 AM IST

Updated : Sep 29, 2023, 1:02 PM IST

उत्तराखंड में गायब हो गए आधे से ज्यादा फायर हाइड्रेंट.

देहरादून: राजधानी देहरादून में इन दिनों चल रहे स्मार्ट सिटी के कार्यों के चलते शहर में लगे फायर हाइड्रेंट (दमकलों में पानी भरने के फायर प्लग) गायब हो गए हैं. फायर ब्रिगेड को पता नहीं चल पा रहा है कि किन-किन जगहों पर हाइड्रेंट लगाए हुए थे. वहीं अगर हम बात प्रदेश भर की करें तो 594 फायर हाइड्रेंट हुआ करते थे. वर्तमान में 355 फायर हाइट्रेंड काम कर रहे हैं. 239 फायर हाइड्रेंट काम नहीं कर रहे हैं. ऐसे अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश की बढ़ती आबादी के बाद फायर हाइड्रेंट (Fire hydrant) के कम होने के कारण आप कितने खतरे में रह रहे हैं और वहीं अग्निशमन विभाग को भी कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

जानें क्या होता है फायर हाइड्रेंट: सबसे पहले हम आपको बताएंगे की फायर हाइड्रेंट क्या होता है और इसका प्रयोग कब किया जाता था? फायर हाइड्रेंट, जिसे फायर प्लग के रूप में भी जाना जाता है, विभिन्न आकारों के छोटे, ठूंठदार लोहे के सिलेंडर की तरह दिखते हैं और विभिन्न प्रकार के वॉल्व और कनेक्शन बिंदुओं के साथ दिखाई देते हैं.
पढ़ें-ब ट्रेनों के एसी कोचों में आग लगने से पहले ही लग जाएगा पता, बजने लगेगा अलार्म

इन उपकरणों को अक्सर सड़कों और फुटपाथों पर देखा जा सकता था, जो एक सक्रिय अग्नि सुरक्षा उपकरण के रूप में जाना जाता है. ये अग्निशामकों को समय पर ढंग से अग्नि स्थल पर निकटतम जल आपूर्ति का पता लगाने में सक्षम बनाते हैं. फायर ट्रक की पानी की टंकी में आग को बुझाने के लिए उचित रूप से चुने गए फायर हाइड्रेंट्स से जुड़े होने से पहले स्थान पर आग को रोकने के लिए पर्याप्त पानी होता है, लेकिन अब धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है.

राजधानी का सबसे बुरा हाल:अब से करीब 25 से 30 साल पहले देहरादून में 66 फायर हाइड्रेंट हुआ करते थे, लेकिन इन 30 सालों में देहरादून की आबादी तो 6 से 10 गुना बढ़ गई, लेकिन उसके अनुरूप फायर हाइड्रेंट की संख्या बढ़ने के बजाए घट गई. आपको जानकार ताज्जुब होगा कि अभी देहरादून में दो ही फायर हाइड्रेंट काम कर रहे हैं और 16 वैकल्पिक फायर हाइड्रेंट से काम चलाना पड़ रहा है. इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि यदि देहरादून की किसी संकरी गली में भयानक आग लग जाए तो वहां क्या स्थिति होगी.
पढ़ें-हरिद्वार को जल्द मिलेंगे फायर रोबोट्स, एडवांस ईक्विपमेंट पर होगा काम, युवा CFO ने गिनाई प्राथमिकताएं

शहर से कैसे गायब हुए फायर हाइड्रेंट: शहर में जब भी सड़कों का निर्माण होता है तो फायर हाइड्रेंट का विशेष ध्यान रखा जाता है. सड़क निर्माण में लगी कार्यदायी और निर्माणदायी संस्था की जिम्मेदारी होती है कि वो जल निगम और जल संस्थान को सूचना देकर हाइड्रेंट को ऊंचा उठाने या फिर उसके लिए अलग से चैंबर बनाने को कहें, लेकिन देहरादून में इसका पालन नहीं किया गया.

उत्तराखंड में आग की घटनाएं.

फायर हाइड्रेंट सड़कों के नीचे दबे!: दरअसल, देहरादून में इन दिनों स्मार्ट सिटी की काम चल रहा है. स्मार्ट सिटी के तहत शहर की पूरी सूरत बदली जा रही है, जिसके लिए जगह-जगह सड़कों को खोदा जा रहा है और उनकी जगह नई सड़कों का निर्माण किया जा रहा है और उनके नीचे फायर हाइड्रेंट को दबा दिया गया. देहरादून में कई महत्वपूर्ण जगहों पर फायर हाइड्रेंट दबे हैं. ऐसे में यदि आसपास के किसी इलाके में आग लग जाए तो वहां समय रहते आग पर काबू नहीं पाया जा सकता है, क्योंकि फायर हाइड्रेंट दबने के कारण पानी समय पर नहीं मिल पाएगा. पानी के लिए अग्निशमन वाहन दौड़ते रहेंगे.
पढ़ें-त्यूणी अग्निकांड: ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है फायर ब्रिगेड, जरूरत के हिसाब से नहीं है व्यवस्था

प्रदेश में 171 हाइड्रेंट काम नहीं कर रहे: वहीं, अग्निशमन विभाग के उपनिदेशक का कहना है कि सभी जनपदों से फायर हाइड्रेंट का डाटा मंगाया गया था. 355 हाइड्रेंट काम कर रहे हैं. 171 हाइड्रेंट काम नहीं कर रहे हैं. 68 हाइड्रेंट अतिक्रमित हो चुके हैं. विभाग द्वारा 2018 में शासन को 364 हाइड्रेंट का प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर शासन स्तर से कार्रवाई चल रही है. साथ ही जिला स्तर से भी जल संस्थान को पत्र भेज कर जानकारी जुटाने की कोशिश की जा रही है.

उत्तराखंड में दमकल विभाग की स्थिति पर एक नजर.

इन परिस्थितियों में आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश में फायर हाइड्रेंट की क्या स्थिति है. दमकल विभाग ने एक सर्वे भी कराया था, जिसमें सामने आया था कि संकरी गली और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में दमकल विभाग की गाड़ियों का पहुंचना मुश्किल है. इसीलिए ऐसी जगहों पर फायर हाइड्रेंट हो तो कार्रवाई तुरंत हो सकती है. 2015 में मिनी वाटर को अग्निशमन के हर फायर स्टेशन के बेड़े में शामिल किया गया है.

Last Updated : Sep 29, 2023, 1:02 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details