देहरादून: प्रदेश में इन दिनों चारधाम यात्रा जोरों पर है. अब तक 19 लाख से अधिक श्रद्धालु चारों धामों में दर्शन कर चुके हैं. वहीं, बात अगर मौतों के आंकड़ों की करें तो अब तक चारों धामों में 148 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, केदारनाथ धाम पैदल मार्ग पर 100 से अधिक घोड़े-खच्चरों की मौत हो चुकी है. इस बार श्रद्धालुओं की मौत से अधिक चर्चा केदारनाथ पैदल यात्रा में होने वाले घोड़े-खच्चरों की मौत की है. केदारनाथ में घोड़े-खच्चरों की मौत का मामला इतना गंभीर हुआ की पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी तक ने इसे लेकर कई सवाल खड़े किये. जिसके बाद प्रदेश के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने खुद गौरीकुंड, केदारनाथ जाकर निरीक्षण किया. उन्होंने मामले में सख्त दिशा-निर्देश जारी करते हुए घोड़े-खच्चरों के मामले में अनियमितता बरतने वाले संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही.
भक्तों की मौत से चर्चा में चारधाम यात्रा: उत्तराखंड में सरकार किसी की भी रही हो चार धाम यात्रा को लेकर हर सरकार गंभीर रही है. उत्तराखंड बनने के बाद से ही राज्य सरकारों का अधिकतर फोकस चार धाम यात्रा पर ही रहा है. उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति में चार धाम यात्रा का बड़ा महत्व है. बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री यमुनोत्री में आने वाले श्रद्धालु यहां के व्यापारियों के लिए खुशियां लेकर आते हैं. उत्तराखंड के लोग भी चार धाम यात्रा का बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस बार की चार धाम यात्रा में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में खासा इजाफा हुआ है. जिसके कारण चारधाम यात्रा की हर जगह चर्चा हो रही है. यात्रियों की बढ़ी संख्या के कारण सरकार की व्यवस्थाएं भी पटरी से उतरी नजर आ रही हैं.
वहीं, चारधाम यात्रा में हो रही मौतों से आंकड़े भी धामी सरकार के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. चारधाम यात्रा में 38 दिनों में 148 श्रद्धालुओं की मौत कई सवाल खड़े करती है. चार धाम यात्रा में केदारनाथ में सबसे अधिक श्रद्धालु केदारनाथ में अपनी जान गंवा रहे हैं. श्रद्धालुओं की लगातार हो रही मौत का मामला धीरे-धीरे गंभीर होता जा रहा है. एक ओर जहां खुद सरकार चारधाम यात्रा में कमियों की बात मान रही है, वहीं, विपक्ष भी इसे लेकर पूरी तरह से हमलावर है. विपक्ष चारधाम में हो रही मौतों को अव्यवस्थाओं से जोड़कर देख रहा है. जिसके लिए वह राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है. बता दें अब तक बदरीनाथ में 34, केदारनाथ में 66, गंगोत्री में 12, यमुनोत्री में 36 मौतें हों चुकी है.
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सफाई व्यवस्था हुई धड़ाम तो पीएम को भी करना पड़ा जिक्र:इतना ही नहीं चारधाम यात्रा में सफाई व्यवस्था भी एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है. चारों धामों में कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है. इतना ही चारधाम यात्रा रूटों पर पड़ने वाले शहरों में भी इसे लेकर कोई इंतजामात नहीं हैं. चारधाम यात्रा में कूड़ा निस्तारण को लेकर राज्यभर के साथ ही चारों धामों में क्या हालात हैं इसे लेकर ईटीवी भारत ने सिलसिलेवार खबरों की सीरीज भी चलाई. जिसका संज्ञान खुद सरकार ने लिया. तब शहरी विकास मंत्रालय ने तमाम अधिकारियों को फटकार लगाते हुए इस पर एक्शन लेने की बात कही. चारधाम में कूड़ा के लेकर हालात इतने खराब हैं कि खुद पीएम मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' में इसका जिक्र किया. पीएम मोदी ने चारधाम जाने वाले यात्रियों से कूड़ा के सही निस्तारीकरण की अपील की. उन्होंने इस मामले में लोगों से जिम्मेदार बनने को कहा.
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दर्शनार्थियों की संख्या हुई सीमित, रजिस्ट्रेशन में सख्ती:चारों धामों में बढ़ती भीड़ और अव्यवस्था को देखते हुए सरकार को धामों में दर्शनार्थियों की संख्या को सीमित करना पड़ा. केदारनाथ के पैदल रास्तों की भीड़ भरी तस्वीरों ने सराकर की नींद उड़ाई. इसके अलावा धामों से मिल रही तमाम अव्यवस्थाओं की खबरों के बाद सरकार एक्शन में आई. तब राज्य सरकार ने फैसला लिया की धामों में भगदड़ की स्थिति ना इसके लिए संख्या को सीमित किया जाए. जिसके बाद श्रद्धालुओं को ऋषिकेश में ही रोका गया. रजिस्ट्रेशन को लेकर भी सरकार इसके बाद ही गंभीर हुई. जिससे उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालु सरकार से खासे नाराज भी हुए.
दरअसल, सरकार ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में फैसला लिया कि अगर आप आज रजिस्ट्रेशन करवाते हो तो आपको 10 दिन या 12 दिन बाद ही चार धाम यात्रा पर जाने दिया जाएगा. ऐसे में हजारों हजारों श्रद्धालु ऋषिकेश, हरिद्वार जैसे शहरों में पहुंचे हुए थे. लोगों ने होटल, टैक्सी बुक की हुई है, लेकिन सरकार की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ने सभी के सपनों पर पानी फेर दिया. लाखों श्रद्धालु अपना रजिस्ट्रेशन न होने की वजह से वापस लौटे. इसको लेकर भी सरकार की रीती-नीति और सिस्टम पर खूब सवाल खड़े हो रहे हैं.
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