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40 दिनों बाद आखिर क्यों चर्चाओं में हैं चारधाम यात्रा, यहां जानें विवाद से लेकर व्यवस्था का सूरतेहाल - उत्तराखंड चारधाम यात्रा में मौत का आंकड़ा

उत्तराखंड चारधाम यात्रा इन दिन मौतों के आंकड़ों को लेकर चर्चाओं में है. चारधाम यात्रा में अब तक 148 लोगों की मौत हो चुकी. वहीं, घोड़े-खच्चरों की मौत की बात करें तो ये संख्या भी 100 के पार पहुंच गई है. इसके अलावा चारधाम यात्रा में अव्यवस्थाएं और कूड़े का निस्तारण भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. आईये आपको बताते हैं आखिर 40 दिनों बाद आखिर क्यों चर्चाओं में हैं चारधाम यात्रा...

death of horses and mules is making headlines in the Chardham Yatra
40 दिनों बाद आखिर क्यों चर्चाओं में हैं चारधाम यात्रा

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Published : Jun 8, 2022, 9:40 PM IST

Updated : Jun 9, 2022, 10:24 PM IST

देहरादून: प्रदेश में इन दिनों चारधाम यात्रा जोरों पर है. अब तक 19 लाख से अधिक श्रद्धालु चारों धामों में दर्शन कर चुके हैं. वहीं, बात अगर मौतों के आंकड़ों की करें तो अब तक चारों धामों में 148 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, केदारनाथ धाम पैदल मार्ग पर 100 से अधिक घोड़े-खच्चरों की मौत हो चुकी है. इस बार श्रद्धालुओं की मौत से अधिक चर्चा केदारनाथ पैदल यात्रा में होने वाले घोड़े-खच्चरों की मौत की है. केदारनाथ में घोड़े-खच्चरों की मौत का मामला इतना गंभीर हुआ की पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी तक ने इसे लेकर कई सवाल खड़े किये. जिसके बाद प्रदेश के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने खुद गौरीकुंड, केदारनाथ जाकर निरीक्षण किया. उन्होंने मामले में सख्त दिशा-निर्देश जारी करते हुए घोड़े-खच्चरों के मामले में अनियमितता बरतने वाले संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही.

भक्तों की मौत से चर्चा में चारधाम यात्रा: उत्तराखंड में सरकार किसी की भी रही हो चार धाम यात्रा को लेकर हर सरकार गंभीर रही है. उत्तराखंड बनने के बाद से ही राज्य सरकारों का अधिकतर फोकस चार धाम यात्रा पर ही रहा है. उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति में चार धाम यात्रा का बड़ा महत्व है. बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री यमुनोत्री में आने वाले श्रद्धालु यहां के व्यापारियों के लिए खुशियां लेकर आते हैं. उत्तराखंड के लोग भी चार धाम यात्रा का बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस बार की चार धाम यात्रा में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में खासा इजाफा हुआ है. जिसके कारण चारधाम यात्रा की हर जगह चर्चा हो रही है. यात्रियों की बढ़ी संख्या के कारण सरकार की व्यवस्थाएं भी पटरी से उतरी नजर आ रही हैं.

40 दिनों बाद आखिर क्यों चर्चाओं में हैं चारधाम यात्रा

वहीं, चारधाम यात्रा में हो रही मौतों से आंकड़े भी धामी सरकार के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. चारधाम यात्रा में 38 दिनों में 148 श्रद्धालुओं की मौत कई सवाल खड़े करती है. चार धाम यात्रा में केदारनाथ में सबसे अधिक श्रद्धालु केदारनाथ में अपनी जान गंवा रहे हैं. श्रद्धालुओं की लगातार हो रही मौत का मामला धीरे-धीरे गंभीर होता जा रहा है. एक ओर जहां खुद सरकार चारधाम यात्रा में कमियों की बात मान रही है, वहीं, विपक्ष भी इसे लेकर पूरी तरह से हमलावर है. विपक्ष चारधाम में हो रही मौतों को अव्यवस्थाओं से जोड़कर देख रहा है. जिसके लिए वह राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है. बता दें अब तक बदरीनाथ में 34, केदारनाथ में 66, गंगोत्री में 12, यमुनोत्री में 36 मौतें हों चुकी है.

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सफाई व्यवस्था हुई धड़ाम तो पीएम को भी करना पड़ा जिक्र:इतना ही नहीं चारधाम यात्रा में सफाई व्यवस्था भी एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है. चारों धामों में कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है. इतना ही चारधाम यात्रा रूटों पर पड़ने वाले शहरों में भी इसे लेकर कोई इंतजामात नहीं हैं. चारधाम यात्रा में कूड़ा निस्तारण को लेकर राज्यभर के साथ ही चारों धामों में क्या हालात हैं इसे लेकर ईटीवी भारत ने सिलसिलेवार खबरों की सीरीज भी चलाई. जिसका संज्ञान खुद सरकार ने लिया. तब शहरी विकास मंत्रालय ने तमाम अधिकारियों को फटकार लगाते हुए इस पर एक्शन लेने की बात कही. चारधाम में कूड़ा के लेकर हालात इतने खराब हैं कि खुद पीएम मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' में इसका जिक्र किया. पीएम मोदी ने चारधाम जाने वाले यात्रियों से कूड़ा के सही निस्तारीकरण की अपील की. उन्होंने इस मामले में लोगों से जिम्मेदार बनने को कहा.

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दर्शनार्थियों की संख्या हुई सीमित, रजिस्ट्रेशन में सख्ती:चारों धामों में बढ़ती भीड़ और अव्यवस्था को देखते हुए सरकार को धामों में दर्शनार्थियों की संख्या को सीमित करना पड़ा. केदारनाथ के पैदल रास्तों की भीड़ भरी तस्वीरों ने सराकर की नींद उड़ाई. इसके अलावा धामों से मिल रही तमाम अव्यवस्थाओं की खबरों के बाद सरकार एक्शन में आई. तब राज्य सरकार ने फैसला लिया की धामों में भगदड़ की स्थिति ना इसके लिए संख्या को सीमित किया जाए. जिसके बाद श्रद्धालुओं को ऋषिकेश में ही रोका गया. रजिस्ट्रेशन को लेकर भी सरकार इसके बाद ही गंभीर हुई. जिससे उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालु सरकार से खासे नाराज भी हुए.

दरअसल, सरकार ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में फैसला लिया कि अगर आप आज रजिस्ट्रेशन करवाते हो तो आपको 10 दिन या 12 दिन बाद ही चार धाम यात्रा पर जाने दिया जाएगा. ऐसे में हजारों हजारों श्रद्धालु ऋषिकेश, हरिद्वार जैसे शहरों में पहुंचे हुए थे. लोगों ने होटल, टैक्सी बुक की हुई है, लेकिन सरकार की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ने सभी के सपनों पर पानी फेर दिया. लाखों श्रद्धालु अपना रजिस्ट्रेशन न होने की वजह से वापस लौटे. इसको लेकर भी सरकार की रीती-नीति और सिस्टम पर खूब सवाल खड़े हो रहे हैं.

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श्रद्धालुओं के साथ बढ़ी जानवरों की मौत की संख्या:चारधाम में तमाम तरह की अव्यवस्थाओं को लेकर सरकार सवालों के घेरे में रही. वहीं, चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं और जानवरों के मौत के आंकड़ों ने भी सरकार की खूब फजीहत करवाई. आए दिन केदारनाथ और यमुनोत्री में घोड़े खच्चरों की मौत की खबरें सामने आई. उनके शवों को भी जहां-तहां फेंका गया. पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद मेनका गांधी ने भी राज्य सरकार से इस बाबत चर्चा की. उन्होंने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया. जिसके बाद मेनका गांधी की टीम ने भी केदारनाथ का दौरा किया.

केदारनाथ में मेनका गांधी की टीम ने पाया कि व्यवस्थाएं पूरी तरह पटरी से उतरी हुई हैं. जानवरों की बेकद्री और गलत व्यवहार किया जा रहा. इतना ही नहीं सफाई व्यवस्था को लेकर भी कोई खास इंतजामात नहीं हैं. आलम यह रहा कि जब सरकार ने इस मामले को गंभीरता ने नहीं सुना तो यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा. हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार को जवाब तलब किया.

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सोशल मीडिया के कारण भी चर्चाओं में चारधाम यात्रा:जानवरों की बात करें तो इस बार केदारनाथ में एक श्रद्धालु अपने पालतू कुत्ते को लेकर केदारनाथ पहुंचा. जिसके कुछ वीडियोज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए. वायरल वीडियो में ये भक्त केदारनाथ धाम में कुत्ता लेकर पूजा करता दिख रहा था. वह मंदिर के द्वार के पास स्थित भगवान नंदी की प्रतिमा को कुत्ते के पंजों से स्पर्श करता भी दिखाई दिया.

इस घटना के बाद मंदिर समिति के साथ ही पुलिस प्रशासन पर खूब सवाल खड़े हुए. मामला बढ़ते देख बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर कमेटी ने इस पर नाराजगी जताते हुए कानूनी कार्रवाई करने की बात कही. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर इस वाक्ये की खूब चर्चा हुई. केदारनाथ यात्रा पर गए कुत्ते को लेकर सोशल मीडिया पर किसी ने उसका समर्थन किया तो किसी ने उसका विरोध भी किया.

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कांग्रेस हमलावार: चारधाम यात्रा तैयारियों और व्यवस्थाओं को लेकर कांग्रेस, सरकार पर लगातार हमलावर है. कांग्रेस प्रवक्ता दीप बोहरा का कहना है कि राज्य सरकार अभी जीत के जश्न में ही लगी हुई है. उन्होंने कहा चार धाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु आए दिन परेशान हो रहे हैं, लोग वापस जा रहे हैं, इससे उत्तराखंड की छवि को धक्का लग रहा है. कांग्रेस का कहना है कि राज्य सरकार को एक श्वेत पत्र जारी करके उत्तराखंड की जनता और यहां आने वाले श्रद्धालुओं से माफी मांगनी चाहिए. कांग्रेस ने कहा आज तक चार धाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को इतनी दिक्कतों का सामना कभी नहीं करना नहीं पड़ा.

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अपने ही सांसद ने खड़े किये सवाल: ऐसा नहीं है कि चारधाम यात्रा को लेकर कांग्रेस ही सरकार के खिलाफ बयान दे रही है. इशारों ही इशारों में चार धाम यात्रा पर रोके जाने वाले श्रद्धालुओं के दर्द को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा सांसद तीरथ सिंह रावत ने भी कई सवाल कई खड़े किए हैं. तीरथ सिंह रावत ने कहा जो श्रद्धालु ऋषिकेश और हरिद्वार आ रहे हैं उनको रोकने का कोई मतलब नहीं है. लोग अपनी श्रद्धा और आस्था के साथ अलग-अलग राज्यों से यहां पर आ रहे हैं. बीच रास्ते में उन्हें रोकना किसी भी हालत में ठीक नहीं है. लिहाजा, इसे लेकर उन्होंने सरकार और अधिकारियों से बात की है. उन्होंने कहा यात्रियों को चेकिंग के नाम पर परेशान न किया जाए. तीरथ सिंह रावत ने कहा जो भक्त यहां पर आ गए हैं उन्हें किस हिसाब से रोका जाएगा? उनके रहने, खाने पीने की व्यवस्था क्या होगी? इन सभी बातों पर विचार किया जाएगा.

Last Updated : Jun 9, 2022, 10:24 PM IST

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